दिल्ली में अगले साल 2025 में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। जहां अभी आम आदमी पार्टी की सरकार है। 70 सीटों वाली विधानसभा का चुनाव इस बार खास है। दरअसल चुनाव से पहले एक बड़े घटनाक्रम के बाद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़कर अपनी पार्टी की आतिशी को सीएम बनाना पड़ा। अब अरविंद केजरीवाल फि विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं, लेकिन उनकी कार्यशैली सवालों के घेरे में है।
- कट्टर ईमानदार छवि पर ग्रहण
- अपने आदर्श और मूल्यों को तिलांजलि दी
- सत्ता के लिए किये हर तरह के समझौते
- भ्रष्टाचार के अनगिनत आरोप
- लाचार प्रशासन
- टकराव की राजनीति
- सिर्फ लोकलुभावन वादों के सहारे
- पिछले पांच साल में दिल्ली में कोई सुधार नहीं
- प्रदूषण, ट्रांसपोर्ट,साफसफाई और यमुना
- तानाशाही रवैया
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले देश के जानेमाने पत्रकार दीपक चौरसिया ने अरविंद केजरीवाल से दस सवाल किये हैं। जानेमाने पत्रकार दीपक चौरसिया का कहना है क्या केजरीवाल वहीं पुराने केजरीवाल है। उन्होंने कहा इस बार के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल सबसे कमजोर विकेट पर है। पिछले तीन विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता ने पूरा विश्वास जताया, जिसके दम पर दिल्ली की तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार से टकराकर अरविंद केजरीवाल ने चुनाव लड़ा और सरकार बनाई। उन्हें आशा से अधिक सफलता मिली।
केजरीवाल अपने वादों पर खरे नहीं उतरे!
जानेमाने पत्रकार दीपक चौरसिया कहते हैं वे सबसे कमजोर विकेट पर क्यों है इसका पहला कारण है कटट्र ईमानदार छवि पर ग्रहण। उन्होंने सवाल किया कि क्या आपको लगता है कि क्या अरविंद केजरीवाल कट्टर ईमानदार है। उनका नाम कई घोटालों में सामने आया है। दिल्ली शराब घोटाले के साथ कई घोटाले में उनका नाम सामने आया था।
दूसरा बड़ा कारण यह है कि केजरीवाल ने अपने आदर्शों और मूल्यों को तिलांजलि दे दी। अरविंद केजरीवाल ने कभी कहा था कि वे सरकार घर नहीं लेंगे, लेकिन उन्होंने शीश महल बना लिया। उन्होंने कसम खाई थी कि वे कांग्रेस से हाथ नहीं मिलायेंगे, लेकिन मिलालिया। इसके बाद उन्होंने वे सुरक्षा नहीं लेंगे, लेकिन आज भी अरविंद केजरीवाल के साथ गाड़ियों का लंबा काफिला चलता है। कभी बच्चों की कसम खाने के बाद केजरीवाल इस पर भी पलट गये।
कभी कहा था जन अदालत में तय होंगे प्रत्याशी के नाम!
इसके अलावा केजरीवाल ने कहा वे राजनीति की नई परंपरा शुरु करेंगे। जनअदालत में प्रत्याशी तय होंगे, लेकिन अरविंद केजरीवाल अपने सिवा किसी की नहीं सुनते। सत्ता के लिए अरविंद केजरीवाल ने सत्ता के लिए हर तरह का समझौता किया। कभी पंजाब में कहा था कि वे कांग्रेस के साथ समझौता नहीं करेंगे, लेकिन दिल्ली में कर लिया। अब वे कह रहे हैं कि कांग्रेस के साथ दिल्ली में चुनाव नहीं लड़ेंगे। सत्ता के लिए केजरीवाल ने क्या क्या समझाौते नहीं किये। 2013, और 2015 में जब केजरीवाल सत्ता में आए तो उन्होंंने कई वादे किये थे। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने अपने सिवा किसी के लिए कुछ नहीं किया। हर पद बदलने की छवि उनकी लगातार बिगड़ती चली गई। चौथी बार उन्हें किस लिए दिल्ली की सत्ता सौंपी जाए यह भी एब बड़ा सवाल है। अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के अनगिनत आरोप लगे हैं। लाचार प्रशासन भी एक बड़ा कारण है। दिल्ली के हालात बदल गये हैं। क्या केजरीवाल दिल्ली की ब्यूरोक्रेसी को हेंडल कर पाए, नहीं। लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की स्थिति क्या हो गई थी वो किसी से छुपी नहीं है।