क्यों मनाई जाती है धनतेरस
शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन से निकले थे। भगवान धनवंतरि हाथों में स्वर्ण कलश लेकर उत्पन्न हुए। धनवंतरी ने कलश में भरे हुए अमृत से देवताओं को अमर कर दिया।
समुद्र मंथन से भगवान धनवंतरी के उत्पन्न होने के दो दिनों बाद माता लक्ष्मी प्रकट हुई। माता लक्ष्मी भगवान धनवंतरी के दो दिन बाद प्रकट हुई। इसलिए दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
मान्यता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार हैं। और शास्त्रों की माने तो भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य हैं। इनकी भक्ति और पूजा से आरोग्य सुख मिलता है। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था।
धनतरेस मानए जाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी है। धनतेसर के दिन भगवान विष्णु ने वामन का रूप रखकर राजा बलि के भय से देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुणा धन-संपत्ति देवताओं को मिल गयी। इस उपलक्ष्य में भी धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।