जानें जम्मू-कश्मीर में क्या है 5 मनोनीत विधायकों का समीकरण…क्या मनोनीत एमएलए के हाथ में होगी सत्ता की चाबी?
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने से पहले मनोनीत विधायकों को लेकर राज्य में सियासी घमासान मच गया है। कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि मनोनीत का मतलब बैक डोर से जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के प्रयास किया जा रहा है।
क्या 5 मनोनीत विधायकों के हाथ में होगी जम्मू-कश्मीर के सत्ता की चाबी
नामों को किया गया फाइनल
वे लोग होंगे जो हाशिए पर हैं
ये मार्जिनलाइज्ड कम्युनिटी है
एक महिला और एक पुरुष
1 रिप्रेजेंटेटिव डिस्प्लेस कश्मीरी कम्युनिटी से होगा
दो रिप्रेजेंटेटिव हिंदू डिस्प्लेस जम्मू और कश्मीर के रीजन से आएंगे
परिणाम से पहले घाटी में सरकार बनाने की सियासत तेज
जम्मू-कश्मीर में मनोनीत विधायकों को लेकर जबरदस्त बवाल मच गया है। कांग्रेस ही नहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी इस फैसले को असंवैधानिक करार दिया है। इतना ही नहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने नॉमिनेशन की इस पूरी प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। वे कानून के जानकारों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं से इसको लेकर सलाह ले रहे हैं। जिसके बाद तय किया जाएगा कि क्या इस तरह के प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है या नहीं।
कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि नॉमिनेशन का अर्थ सीधे सीधे बैक डोर से जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। खबर है कि जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल 8 तारीख की शाम को पांच लोगों को विधायक मनोनीत कर सकते हैं। हालांकि 8 अक्टूबर को कोई नॉमिनेशन होना संभव नहीं है। कानून के जानकार बताते हैं कि जब चुनाव के नतीजे आएंगे। इसके बाद ही उपराज्यपाल को उस नोटिफिकेशन के जारी होने का इंतजार करना होगा। जिसके जरिए केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में नई विधानसभा का गठन किया जाएगा। इस नोटिफिकेशन में यह जानकारी दी जाएगी कि किस-किस विधानसभा से कौन कौन उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है।
जम्मू-कश्मीर में यदि राष्ट्रपति शासन भी लागू होत है तो उसे खत्म करने के लिए भी एक नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इन दोनों ही नोटिफिकेशंस के जारी होने के बाद जम्मू-कश्मीर में किसी तरह से विधानसभा का गठन किया जाएगा। इसके बाद ही एलजी पांच लोगों के मनोनयन का नोटिफिकेशन जारी कर सकते हैं। बता दें अब तक विधानसभा की ऐसी सीटों पर लोगों के मनोनयन का अधिकार एलजी के पास ही होता है।
आखिर नामित विधायकों में कौन कौन होगा शामिल
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पांच मनोनीत सदस्यों को नामित करेंगे। जिसमें से दो कश्मीर विस्थापित होंगे तो एक महिला और एक पीओके के साथ एक अन्य शामिल होंगे। इन सभी मनोनीत सदस्यों के पास विधानसभा में मतदान का भी हक होगा। हरियाणा के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 90 सीट पर भी रिजल्ट सामने आएंगे। इसके बाद ही उपराज्यपाल की ओर से इन विधायकों को मनोनीत किया जाएगा।
पुडुचेरी का क्या था मामला?
साल 2018 में पुडुचेरी में तीन विधायकों का नामांकन किया गया था। जिसको मद्रास उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। साथ ही यह तर्क भी दिया गया था कि केंद्र सरकार ने उन्हें विधानसभा में मनोनीत करने से पहले पुडुचेरी सरकार से किसी तरह का परामर्श नहीं किया। हाईकोर्ट की ओर से तीन बीजेपी सदस्यों के नामांकन को बरकरार रखने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में अपील में चला गया। जिस पर दिसंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने यह माना था कि सदस्यों को नामित करने से पहले पुडुचेरी सरकार से परामर्श की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि मनोनीत सदस्य निर्वाचित प्रतिनिधियों से अलग होते हैं। उनका मनोनयन केन्द्र सरकार की कार्यकारी शक्तियों के तहत आता है।
सुप्रीम कोर्ट का मानना कि केंद्र सरकार की सलाह पर काम करते हुए उप राज्यपाल सदस्यों का मनोनयन कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल की ओर से सदस्यों का मनोनयन संघवाद के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करता। क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर पुडुचेरी देश के दूरसरे राज्यों की तुलना में एक अलग संवैधानिक ढांचे के तहत काम करता है। संघ शासित प्रदेशों में शासन और व्यवस्था केन्द्र सरकार के लिए अधिक प्रत्यक्ष नियंत्रण की अनुमति देती है।