भारत का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश का गठन 1 नवम्बर, 1956 को हुआ था। तभी से यह दिन मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। 31 अक्टूबर को मध्यप्रदेश का विभाजन करके एक नवंबर 2000 को देश के 26वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ का गठन किया गया। मध्यप्रदेश की सीमाएं 5 राज्यों की सीमाओं से मिलती हैं। मध्यप्रदेश के उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र और पश्चिम में गुजरात तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान राज्य है। इस मौके पर जानें मध्यप्रदेश से जुड़े कुछ रोचक तथ्य…
MP के बारे में जानने योग्य बातें
मध्यप्रदेश अपने प्राकृतिक क्षेत्रों से लेकर इतिहास के कई महत्वपूर्ण हिस्सों को अपने में समाए हुए हैं। यहां के जंगलों में सबसे ज्यादा बाघ हैं तो वहीं कई प्राचीन स्थल इसके अहम अंग हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में…
- कर्क रेखा मध्य प्रदेश राज्य के बीच से नर्मदा नदी के लगभग समानांतर गुजरती है।
- 12 शिव ज्योर्तिलिंग में से 2 ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर (बाबा महाकाल) मध्य प्रदेश में हैं।
- टाइगर स्टेट कहे जाने वाले राज्य मध्यप्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा बाघ हैं। मध्यप्रदेश ने 2018 की जनगणना में देश के ‘टाइगर स्टेट’ होने का गौरव हासिल किया था।
- मध्यप्रदेश का राज्य पशु बारहसिंघा और राज्य पक्षी दूधराज है। मध्य प्रदेश का राजकीय वृक्ष बरगद है।
- मध्यप्रदेश की अर्थ व्यवस्था कृषि प्रधान है। राज्य की 70 फीसद से अधिक जनसंख्या गांव में रहती है, जिसका प्रत्यक्ष संबंध कृषि से है।
- मध्यप्रदेश को भारत के एकमात्र हीरा उत्पादक राज्य के रूप में भी जाना जाता है। पन्ना की रत्नगर्भा धरती ने अनेक लोगों की जिंदगी बदल दी है।
- मध्यप्रदेश की संस्कृति और इतिहास काफी समृद्ध है जिनमें अनेक रोचक पहलुओं की जानकारी मिलती है। स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में भी मध्य प्रदेश के योगदान की जानकारी मिलती है।
- भेड़ाघाट, भीमबैटका, पचमढ़ी, खजुरोहा, सांची के स्तूप, ग्वालियर का किला, मांडू, बाघ की गुफाएं, उज्जैन महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
- भीमबेटका में 600 गुफाओं का संग्रह है और इसे भारत के सबसे पुराने गुफा संग्रहों में से एक माना जाता है। यह अपनी अद्भुत राक नक्काशियों और चित्रों के लिए पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
- कुछ रॉक शेल्टर 100,000 साल से भी पहले बसे हुए थे। भीमबेटका साइट भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे पुरानी ज्ञात राक कला है, जो 30,000 से अधिक वर्षों से अधिक पुरानी है। ये गुफाएं भारत में एक विश्व धरोहर स्थल भी हैं। मध्य प्रदेश में स्थित भीमबेटका गुफाएं पाषाण काल की है जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि मध्यप्रदेश 30 हजार ईसा पूर्व अस्तित्व में था।
- देश में सबसे अधिक राष्ट्रीय उद्यान और अभ्यारण्य का क्षेत्र मध्यप्रदेश में है।
- मध्यप्रदेश की धरती पर भारत के कई दिग्गजों का जन्म हुआ, जैसे अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, स्वर कोकिला लता मंगेशकर, जया बच्चन, किशोर कुमार, मंसूर अली खान पटौदी आदि कई अन्य महान व्यक्तियों का जन्म इस राज्य में हुआ है। कैप्टन सीके नायडू, मुश्ताक अली, मेजर एमएम जगदाले जैसे क्रिकेटरों ने अपनी प्रतिभा से मध्य प्रदेश को गौरवांवित किया।
- भारत के दो महान गायक संगीत सम्राट तानसेन और बैजू बावरा का जन्म ग्वालियर के पास हुआ था।
- भागवत पुराण के अनुसार मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर के सांदीपनि आश्रम में भगवान कृष्ण, उनके भाई बलराम और उनके मित्र सुदामा ने अपनी शिक्षा पूरी की थी। उज्जैन में हर 12 साल में शिप्रा नदी के किनारे कुम्भ मेला लगता है।
- मध्यप्रदेश राज्य खनिज संसाधनों की दृष्टि से बहुत संपन्न राज्य है। इस लिहाज से झारखंड के बाद मध्य प्रदेश का देश में दूसरा स्थान है।
MP Sthapana दिवस पर जानें मप्र का इतिहास
देश के मध्य भाग में मध्यप्रदेश स्थित है। इसलिए इसे भारत का हृदय प्रदेश भी कहा जाता है। मध्यप्रदेश देश का नाम आजादी मिलने के बाद अस्तित्व में आया। 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो मध्य भारत और विंध्य प्रदेश के नए राज्यों को पुरानी सेंट्रल इंडिया एजेंसी से अलग कर दिया गया। तीन साल बाद 1950 में मध्य प्रांत और बरार का नाम बदलकर मध्यप्रदेश कर दिया गया।
भोपाल को बनाया मध्यप्रदेश की राजधानी
1 नवंबर 1956 को ही भोपाल को मध्यप्रदेश की राजधानी के रूप में चुन लिया गया था। मध्यप्रदेश के गठन के समय कुल जिलों की संख्या 43 थीं। आज मध्यप्रदेश में कुल 52 जिले हैं।
ये थे मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री
1 नवंबर, 1956 को मध्यप्रदेश का पहला मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल को बनाया गया था। रविशंकर शुक्ल ने पहला भाषण लाल परेड ग्राउंड पर दिया था। दरअसल, साल 1898 में अमरावती में हुए कांग्रेस के 13वें अधिवेशन में पंडित शुक्ल ने पहली बार अपने शिक्षक के साथ भाग लिया था और उसी के बाद से वे आजादी के आंदोलन में शामिल हो गए थे। हालांकि, रविशंकर शुक्ल मात्र 2 माह ही मुख्यमंत्री रह पाए और 31 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया।