छत्तीसगढ़ में स्काईवॉक योजना को लेकर सियासत तेज हो गई। दरअसल राजधानी के बीचों बीच एक ऐसा अधूरा निर्माण कार्य खड़ा है जो पिछले 7 साल से पूरे होने के बाद भी अधूरा है और इंतजार कर रहा कब निर्माण पूरा होगा। इस निर्माण कार्य को रायपुर शहर जनता स्काईवॉक के नाम से जानती है। बता दें छत्तीसढ़ में कांग्रेस की सरकार आई और चली गई, लेकिन पांच साल में इसे पूरा नहीं किया गया। अब छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनी है। ऐसे में एक बार फिर बीजेपी की साय सरकार में इस अधूरे निर्माण के पूरा होने की बात सामने आई है, लेकिन क्या स्काईवॉक पूरा होगा या नहीं यह आने वाला वक्त ही बतायेगा।
- स्काईवॉक योजना पर सियासत तेज
- राजधानी के बीचों-बीच अधूरा निर्माण!
- निर्माण कार्य पूरा होने का इंतजार
- सरकार आई…सरकार गई!
- आज भी अधूरा है स्काईवॉक
- आरोप –प्रत्यारोप जारी
- पक्ष विपक्ष आमने-सामने
- कांग्रेस का आरोप— स्काईवॉक केवल एक सपना
- ‘सरकार किसी भी काम के प्रति सजग नहीं’
- सत्ता पक्ष ने किया विपक्ष पर पलटवार
- ‘कांग्रेस सरकार ने निर्माण पर रोक लगा दी थी’
- ‘साय सरकार में पूरा होगा अधूरा काम’
- बीजेपी स्काईवॉक का काम पुरा कराएगी’
- 8 माह में पूरा होना था स्काईवॉक का निर्माण
- कुल लंबाई लगभग 1.470 किलोमीटर थी
- लागत राशि बढ़कर 77 करोड़ रुपए
छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार से पहले बीजेपी की डॉ रमन सरकार के समय राजधानी रायपुरवासियों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए स्काईवॉक योजना लाई गई थी। लेकिन बीजेपी की सरकार बदली और 2018 में कांग्रेस की भूपेश सरकार बनते ही इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। अब 2023 में जब प्रदेश में एक बार फिर BJP की सरकार बनी तो रायपुर में स्काईवॉक के अधूरे काम के पूरा होने को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्काईवॉक साल 2016 में बनना शुरू हुआ था लेकिन साल 2024 तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका। क्योंकि इसके पहले साल 2018 में सत्ता परिवर्तन हुआ। कांग्रेस सरकार ने इसके निर्माण पर रोक लगा दी थी। तब से लेकर अब तक यह निर्माण कार्य बंद रहा। पिछले 7 साल से रायपुर के बीचो-बीच एक अधूरे निर्माण के रूप में खड़ा स्काई वॉक अब पूरा होगा। विधानसभा सत्र के दौरान स्काई वॉक काम को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई थी। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि स्काईवॉक का काम पूरा किया जाएगा। वहीं इसे लेकर कांग्रेस निशाना साध रही है। कांग्रेस का इस पर कहना है कि स्काईवॉक केवल एक सपना बन कर रह जाएगा। यह सरकार किसी भी काम के प्रति सजा नहीं है।
साल 2016-17 में शुरू किया था स्काईवॉक प्रोजेक्ट
बता दें डॉ.रमन सिहं के शासन में स्काईवॉक का प्रोजेक्ट शुरु हुआ था। पूर्ववर्ती रमन सरकार में तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे राजेश मूणत ने इसे साल 2016-17 में शुरू किया था।
तत्कालीन रमन सरकार ने स्काईवॉक के संबंध में सर्वे कराया था। इसके कंसलटेंट एसएन भावे एसोसिएट मुंबई ने जो रिपोर्ट दी थी उसमें बताया था कि शास्त्री चौक से रोजाना 27 हजार और मेकाहारा चौक से लगभग 14 हजार राहगीर पैदल आते जाते हैं। इस आधार पर स्काईवॉक के निर्णय का रमन सरकार ने फैसला लिया था। जिसका टेंडर मेसर्स जीएस एक्सप्रेस लखनऊ को 42.55 करोड़ रुपए में निर्माण कार्य का दिया था।
सरकार बदली…खड़े हो गए सवाल
स्काईवॉक को लेकर कांग्रेस सवाल खड़े करती रही है। कांग्रेस ने इसे लेकर बीजेपी को घेरने की कोशिश भी की। उसका आरोप था कि स्काईवॉक प्रोजेक्ट को जल्दबाजी में पारित कर दिया गया था। कांग्रेस ने उस समय टेंडर में गड़बड़ी के भी आरोप लगाए थे।