हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीख बदलकर 5 अक्टूबर कर दी गई है। जिससे प्रत्याशी चयन के लिए में पार्टियों को और समय मिल गया। हम बात कर रहे हैं कांग्रेस की, जिसमें कौन होगा सीएम का फेस के बाद अब टिकट बंटबारे पर क्लेश मच गया है। हालात यह है कि स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में चेयरमैन अजय माकन के सामने ही कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपिंदर हुड्डा और चुनाव प्रभारी महासचिव बनाए गए दीपक बावरिया दोनों आमने- सामने आ गए। दरअसल बैठक में करीब दो बार लगातार चुनाव में हार का सामना करने वाले नेताओं को टिकट न देने के फार्मूले ने हरियाणा कांग्रेस की सियासत को एक बार फिर गरमा दिया है।
- पहले सीएम फेस पर विवाद
- अब टिकट बंटवारे पर सियासी घमासान
- आमने-सामने हुए हुड्डा और बावरिया
- खतरे में दो बार लगातार हारने वालों का टिकट
- टिकट वितरण के फार्मूले ने बढ़ाया चुनावी घमासान
- पिछली बार सीएम फेस को लेकर दिया था बावरिया ने बयान
- कहा था विधानसभा का चुनाव कोई सांसद नहीं लड़ सकता
- बावरिया के बयान से हुड्डा खेमा था खुश
- सीएम कुर्सी का सबसे बड़ा खतरा हैं शैलजा और सुरजेवाला
- शैलजा — सुरजेवाला दोनों का हो सकता था पत्ता कट
- शैलजा और सुरजेवाला की दो टूक से बदल गई कहानी
- बावरिया का फिर एक और बयान आया सामने
- सीएम फेस बनने के लिए MLA होना जरूरी नहीं
हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में सियासत का दौर जारी है। चुनाव प्रभारी मासचिव दीपक बावरिया और कांग्रेस विधायक दल के नेता हुड्डा की बढ़ती नजदीकियों में अब कुछ दरारें आ गईं है। दीपक बावरिया के पिछले कुछ बयान से हुड्डा खेमा नाखुश नजर आ रहा है। अब तक मुख्यमंत्री के फेस को लेकर कांग्रेस में घमासान मचा था। किसी तरह मामला शांत कराया तो अब पार्टी में टिकट वितरण के फार्मूले पर बड़े नेताओं में सियासी अदावत नजर आ रही है। हरियाणा विधानसभा को लेकर कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई थी। जिसमें कमेटी के चेयरमैन अजय माकन के सामने ही विधायक दल के नेता और हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया दोनों आमने-सामने आ गए।
बावरिया के इस बयान के बाद से ही हुड्डा हैं नाराज
दो बार लगातार चुनाव हारने ने वाले ताओं को इस बार टिकट न देने का फार्मूले तैयार किया गया है। जिससे एक बार फिर हरियाणा में कांग्रेस की सियासत गरमा गई है। दरअसल भूपिंदर हुड्डा और उनके खेमे के विधायकों ने प्रस्ताव दिया था कि जो नेता लगातार टर्म में चुनाव हारे हो। उन्हें इस बार के चुनाव में टिकट नहीं दिया जाए। बल्कि उनके परिवार में से ही किसी दूसरे सदस्य या फिर उनके बेटे बेटियों में से किसी को टिकट दिया जाए। लेकिन इस पर जब तक कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन और मणिक्कम टैगोर कुछ बोल पाते इससे पहले ही दीपक बावरिया ने हुड्डा के प्रस्ताव को ठकुरा दिया, विरोध कर दिया।
खतरे में दो बार लगातार हारने वालों का टिकट
बैठक में ही हुड्डा के प्रस्ताव का विरोध करने वाले दीपक बावरिया का कहना था साल 2004 से 2009 के बीच 5 या 10 साल यह विधायक रहे है। फिर चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। अब इन हारे हुए प्रत्याशियों के बेटे बेटी को यदि 30 साल एक परिवार को लगातार टिकट दिये जाएंगे तो पार्टी के कार्यकर्ता कहां जाएंगे। इस फैसले से कहीं न कहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी देखने को मिल सकती है। दीपक बावरिया ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को ही टिकट देना चाहिए।
बता दें चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर भूपिंदर सिंह हुड्डा ऐसा कोई नियम नहीं चाहते हैं। क्योंकि उन्हें अच्छे से पता है कि इससे उनके कई करीबियों के टिकट पर कैंची चल जाएगी। कुल मिलाकर अब तक हुड्डा का करीबी होने का तमगा झेलने वाले दीपक बावरिया ने उनके खिलाफ ही बिगुल फूंक दिया है। उनका ताजा बयान बताता है कि आलाकमान हुड्डा के भरोसे जरूर है। हालांकि कांग्रेस सिर्फ हुड्डा के भरोसे ही नहीं है। कांग्रेस आलाकमान ने हरियाणा में भी अब और पावर सेंटर बना दिये हैं।