जानें असम की सरमा सरकार ने क्यों निरस्त किया मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून
असम में मुस्लिम समाज के लोग अब तलाक और शादी का पंजीकरण काजी के पास नहीं करा सकेंगे। असम सरकार ने इस बारे में एक विधेयक भी विधानसभा में पेश किया है। विधेयक के मुताबिक इस कानून को निरस्त किया गया है जिसमें मुस्लिम विवाह और तलाक के पंजीयन काजी के पास कराए जाते थे। सरकार ने इस बारे में विधयेक पेश कर दिया है।
क्या विधेयक पेश किया सरकार ने
विधयेक के तहत मुस्लिम समाज के शादी और तलाक के पंजीकरण अब काजी के पास नहीं बल्कि सरकार के पास कराने होंगे। साथ ही बाल विवाह को वैध नहीं माना जाएगा और उसका पंजीकरण नहीं होगा। पुराने कानून को निरस्त करने और नए विधेयक लाने के पीछे की वजह भी सरकार ने बताई है। सरकार ने कहा है कि इसमें समुदाय में नाबालिगों के विवाह को मंजूरी देने की गुंजाइश है।
सरकार के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री ने इसे पेश किया। मंत्री जोगेन मोहन ने असम में मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 और मुस्लिम विवाह पंजीकरण अध्यादेश 2024 को निरस्त करने के लिए विधेयक सदन के पटल पर रखा। इस कानून को निरस्त करते हुए मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024 पेश किया गया।