HIMACHAL ELECTION-2022, सत्ता पाने और बचाने का खेल
किस करवट बैठेगा ऊंट, 8 दिसंबर को आएंगे नतीजे
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी दिखाई देने लगी है। चुनावी शंखनाद के साथ नेताओं के दावे और वादों का मौसम आ गया गया है लेकिन सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा इसका नतीजा 8 दिसंबर को ही पता चलेगा। पहाड़ी राज्य हिमाचल के इस रण में कोई भी दल कसर नहीं छोड़ना चाहता। हालांकि अंदरुनी कलह ही नहीं गुटबाजी और हिमाचल प्रदेश दुर्गम परिस्थितियां सियासी पार्टियों के सामने चुनौती बन रही हैं। राजनीति के इस रण में कौशल दिखा रहे सियासी दल अपने तरकश में मजबूत तीर तो रखते हैं लेकिन डनकी कुछ कमजोरियां भी हैं। जिससे हार जीत प्रभावित होती है। 12 नवंबर को 68 विधानसभा सीट पर एक फेज में हिमाचल चुनाव होंगे।
भाजपा के स्टार प्रचारक
हिमाचल प्रदेश में सत्तारुढ़ भाजपा दोबारा काबिज होना चाहती है। यही वजह है कि उसने इन चुनाव में पूरी ताकत लगा दी है। पार्टी ले इस बार 40 स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारने का फैसला लिया है। ये स्टार प्रचारक जनता से वोट की अपील करेंगे। जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सबसे उपर है। इसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, उत्तराखंड के सीएम पीएस धामी, कर्नाटक सांसद तेजस्वी सूर्या, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, अनुराग ठाकुर समेत कुल 40 नेताओं के नाम शामिल हैं।
पिछले चुनाव में 44 सीटों पर किया था कब्जा
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 44 सीटों पर कब्जा किया था। इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 36 और बीजेपी ने 26हासिल की थी। तो अन्य ने 6 सीटों पर कब्जा किया था। बता दें कि हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में 68 सीटें हैं। जिसमें से बहुमत के लिए 35 सीटों की जरुरत होती है।
फिर मोदी के सहारे
हिमाचल में भाजपा की सत्ता है। यह उसकी सबसे बड़ी मजबूती है साथ ही मोदी मैजिक का भी भरोसा है। पिछले पांच साल में किये गये विकास कार्य भी भाजपाई गिना रहे हैं। भाजपा की ओर से लिया गया मिशन रिपीट का संकल्प उसकी ताकत बढ़ा रहा है। सांगठनिक तौर पर भी भाजपा विपक्षियों से अधिक मजबूत नजर आ रही है। खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमाचल और कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर हिमाचल से ही हैं। स्थानीय स्तर पर बात करें तो सीएम जयराम ठाकुर का कार्यकाल भी विवादों से परे रहा है। कई बार पीएम मोदी भी उनकी पीठ थपथपा चुके हैं, वंदेभारत ट्रेन की शुरुआत। हाटी समुदाय को जनजातीय का दर्जा दिया जाना। बिलासपुर एम्स, बल्क ड्रग पार्क, मेडिकल डिवाइस पार्क भी भाजपा को वोट दिलाने में सहायक हो सकते हैं।
भाजपा में कलह और गुटबाजी
भाजपा की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि कलह और गुटबाजी थम नहीं रही है। दरअसल बीजेपी ने मौजूदा दस विधायकों के टिकट काट दिए हैं। साथ ही 19 नए चेहरों को टिकट देकर मैदान में उतारा है। यही वजह है कि पार्टी को नाराज विधायकों को संभालना मुष्किल हो रहा है। उसे नए चेहरों के लिए भी रास्ता आसान बनाना होगा। जिससे पुराने नेताओं में उनकी स्वीकार्यता बढ़ सके। पुरानी पेंशन योजना को लेकर भी हिमाचल में बीजेपी काे विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
सत्ता परिवर्तन के भरोसे कांग्रेस
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने पूरा जोर लगा दिया है। कांग्रेस भी अपनी तैयारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। साथ ही तेजी से उभर कर आई आम आदमी पार्टी भी हिमाचल के चुनावी समर में पूरे दमखम के साथ मैदान में नजर आ रही है। पार्टी नेता लगातार सत्ता पक्ष की खामियां उजागर करने में जुटे हुए हैं। कांग्रेस को सत्ता परिवर्तन की उम्मीद है। वह अपनी सबसे बड़ी मजबूती सत्ता परिवर्तन के मिथक को मान रही है। दरअसल 1980 के दशक से ही ऐसा होता भी आया है। जनता हर पांच साल बाद सरकार बदलती रही है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ मॉडल के जरिए पार्टी ये बताने की कोशिश कर रही है कि हिमाचल को कैसे विकास के रास्ते पर दौड़ाया जा सकता है। कई जगह छत्तीसगढ़ मॉडल पसंद भी किया जा रहा है। साथ ही पुरानी पेंशन स्कीम वापस लाने का ऐलान और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का नाम भी पार्टी को मजबूत बना रहा है। कांग्रेस ने एक लाख नौकरियां देने का भी ऐलान कर दिया है।
बिना किसी चेहरे के मैदान में कांग्रेस
इस बार भी कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेष में सीएम का चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया है। यह उसके लिए सबसे बढ़ी कमजोरी साबित हो सकता है। कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी भी यही है। हालांकि पार्टी प्रतिभा वीरभद्र सिंह की लीडरशिप में चुनाव में उतर रही है लेकिन ये साफ नहीं है कि जीतने पर सीएम हौन होगा। लिहाजा पार्टी में सीएम पद के कई दावेदार हैं। इसी कारण गुटबाजी और कलह भी हावी है। कलह के चलते पिछले दिनों कई कांग्रेसी नेता पार्टी को अलविदा कहकर दूसरे दलों के चले गए थे।
आप को दिल्ली मॉडल पर भरोसा
वहीं हिमाचल प्रदेश के रण में पहली बार आम आदमी पार्टी भी नजर आ रही है। उसकी मजबूती उसकी ईमानदार छवि और दिल्ली मॉडल को माना जा रहा है। पार्टी दिल्ली के स्कूल.अस्पतालों को ही आगे रख जनता का दिल जीतने का प्रयास कर रही है। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल खुद हिमाचल के लोगों को अच्छी शिक्षाए मुफ्त इलाज देने का वादा कर चुके हैं। इसके अलावा पड़ोसी राज्य पंजाब में पार्टी को मिली बंपर जीत भी हिमाचल में ।।च् को मजबूत कर रही है। बेरोजगारों को नौकरी और भत्ता देनेए मुफ्त बिजली समेत आम आदमी पार्टी के कई ऐसे दावे हैं जो लोगों के बीच चर्चा का विषय हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए हिमाचल में चुनाव लड़ने का अनुभव नया है। सांगठनिक तौर पर भी वह भाजपा और कांग्रेस की तरह मजबूत नहीं है। उधर दिलली में शराब नीति को लेकर लग रहे आरोप भी आप की साख को खराब कर रहे हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी का फोकस इन दिनों गुजरात चुनाव पर है। जिसके चलते हिमाचल में पार्टी के बड़े नेता सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं।