भोपाल: गोंड राजाओं के शासनकाल और मध्यकालीन स्मारकों को देखने का एक अनूठा अवसर
भोपाल: मध्य प्रदेश के संस्कृति और पर्यटन के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने गोंड काल की रियासतों के स्मारकों को प्रदर्शित करने वाली एक फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। यह प्रदर्शनी श्यामला हिल्स स्थित राज्य संग्रहालय में आयोजित की जाती है और पुरातत्व अभिलेखागार और संग्रहालय निदेशालय द्वारा आयोजित की जाती है।
आगंतुक राजनीतिक घटनाओं, प्रशासनिक निर्णयों और गोंड काल के अन्य पहलुओं से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेजों का पता लगा सकते हैं। प्रदर्शनी में उस युग के शासकों की तस्वीरें, मानचित्र प्रतीक और वंशावली भी शामिल हैं। यह 16 जुलाई तक जनता के लिए खुला रहेगा, जिसमें सभी के लिए प्रवेश निःशुल्क होगा। भारत के मध्यकालीन इतिहास में गोंड शासकों का महत्वपूर्ण योगदान है। इस वंश का प्रथम शासक यादवराय अथवा जादोराय था। इसके बाद खर्जी, गोरक्षदास, संगिंददास (सुखंडदास) और अर्जुनदास इस वंश के शासक बने। अर्जुनदास का पुत्र अम्हनदास (अमनदास) जो संग्रामशाह के नाम से गोंड रियासत का शासक बना, इस वंश का प्रतापी राजा था। दिल्ली के लोदी सुल्तान और गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के समकालीन होने के नाते संग्राम शाह ने मध्यकालीन इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
संग्राम शाह के अधिकार क्षेत्र में 52 किले थे। रानी दुर्गावती के समय में ये किले उनके नियंत्रण में रहे। वीर रानी दुर्गावती एक लोकप्रिय शासिका थीं। वह संग्राम शाह की बहू और दलपति शाह की पत्नी थीं। उन्होंने बहादुरी से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया और मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।