उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई। इसमें 121 लोगों की मौत हो गई। करीब 150 से अधिक घायल बताए जा रहे हैं। कई लोगों की हालत गंभीर है। जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। यह दर्दनाक हादसा हाथरस जिले से करीब 47 किलोमीटी दूर फुलरई गांव में हुआ है। हताहतों की संख्या को देखते हुए मौत का ये आंकड़ा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। बता दें हाथरस में नारायण साकार हरि भोले बाबा के सत्संग के बाद वहां भगदड़ मच गई थी। जिससे यह हादसा हो गया। हादसे के बाद राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही 24 घंटे में जांच रिपोर्ट भी तलब की है।
आखिर कौन हैं यह नारायण साकार हरि
17 साल पहले बाबा भोलेनाथ उत्तरप्रदेश पुलिस में नौकरी किया करते थे। 12 थानों में तैनाती मिली। एलआई यू में रहे तो खुफियागिरी भी की। फिर 17 साल पहले यूपी पुलिस की नौकरी यह कहकर छोड़ दी कि उनकी मुलाकात सीधे भगवान से हुई है। अब तक बाबा भोलेनाथ के दरबार में नेताओं से लेकर अफसर तक हाजिरी लगाने पहुंचते थे। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव भी कई बार सत्संग में जाकर बाबा का आशीर्वाद ले चुके हैं। जानें क्यों मची थी हाथरस के सत्संग में भगदड़.
नाम नारायण साकार हरि—पहचान स्वयंभू धर्म गुरु
हाथरस हाथरस के दिल दिलाने वाले हादसे के बाद यही नाम आज पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। हर कोई सफेद सूट और टाई पहनने वाले इस बाबा के बारे में जानना चाहता है। आखिर कौन है नारायण साकार बाबा। जिसके सत्संग में गए सैकड़ों भक्त भगदड़ में मौत का शिकार हो गए।
- प्राइवेट आर्मी वाले बाबा का पूरा सच क्या है
- सत्संगी बाबा नारायण का अनदेखा संसार
- बाबा नारायण का सत्संग बना बना मृत्यु लोक
- कोई इन्हें पहुंचा हुआ संत कहता है
- कोई इन्हें धर्मगुरु कहता है
- कोई इन्हें कलयुग का भगवान कहता है
- कोई इन्हें साक्षात भगवान का अवतार बताता है
नारायण हरि के नाम से मशहूर बाबा देश के अलग-अलग हिस्सों में सत्संग करने जाया करते थे लेकिन बाबा की ख्याति को भीड़ से समझ सकते हैं। जब बाबा किसी शहर में समागम करने जाते हैं तो लाखों की भीड़ उन्हें सुनने और उन्हें देखने पहुंचती है। बाबा कुछ और है। इस बाबा का दूसरे बाबाओ से हुलिया कुछ अलग है। यह दूसरे बाबाओं की तरह लंबे बाल बढ़ी हुई दाढ़ी और गेरुए वस्त नहीं पहनते हैं। चश्मा लगाते हैं सफेद रंग का सूट पहनते हैं जिस पर टाई लगी होती है। बाबा पूरी ठसक के साथ चलते हैं। उनके काफिले में कई लग्जरी गाड़ियां होती है। उनकी सुरक्षा के लिए खुद उनकी अपनी प्राइवेट आर्मी भी उनके पास थी।
यह सत्संग संत भोले बाबा का था……….प्रवचन सुनने के लिए बड़ी संख्या में उनके भक्त जमा थे….. नारायण साकार हरि के नाम से प्रसिद्ध संत पश्चिमी उत्तरप्रदेश में ज्यादा प्रचलित….. थ्री पीस सूट, टाई और आंखों पर रंगीन गॉगल पहनकर भक्तों को मोहमाया से उठकर केवल ईश्वर की भक्ति में लीन होने का ज्ञान देते थे।
सूट पहनकर प्रवचन देते थे ‘बाबा’
- मूल रूप से एटा जिले के रहने वाले हैं बाबा नारायण साकार हरि
- यूपी की खुफिया विभाग में करते थे सरकारी नौकरी
- साल 1990 में दिया यूपी पुलिस की नौकरी से इस्तीफा
- नौकरी छोड़ने के बाद अध्यात्म में रम गये
- कोरोना काल में सत्संग कर चर्चा में आए थे बाबा
- मंच पर पत्नी के साथ देते थे प्रवचन
- सत्संग को मानव मिलन सद्भावना समागम कहा जाता था
जानकारी के मुताबिक नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा को मानने वाले अनुयायियों की संख्या लाखों में है। खासकर पश्चिमी यूपी में उनके अनुयायी सबसे अधिक है। खुद भोला बाबा उर्फ नारायण साकार हरि यूपी के एटा के रहने वाले हैं। बाबा किसी जमाने में यूपी इंटेलिजेंस ब्यूरो में काम करते थे लेकिन करीब 17 साल पहले उन्होंने नौकरी छोड़ दी और आध्यात्मिक की दुनिया से जुड़ गए शुरुआत में छोटे-मोटे समागम का आयोजन बाबा नारायण हरि ने किया। लेकिन देखते ही देखते बाबा की ख्याति फैलने लगी। खासकर पश्चिम उत्तर प्रदेश में उनके अनुयाई तेजी से बढ़ने लगे।
यूपी, हरियाणा, राजस्थान , दिल्ली में सबसे अधिक अनुयायी
बड़ी बात यह है कि चंद साल में ही बाबा के लाखों अनुयाई बन गए। पश्चिमी यूपी के साथ-साथ उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत कई राज्यों में सत्संग के लिए बाबा नारायण हरि जाने लगे। दावा यही है कि बाबा नारायण हरि के देश भर में लाखों अनुयाई है। यही वजह है कि बाबा सुनने और देखने के लिए हजारों की संख्या में सत्संग में लोग पहुंचते हैं। लेकिन नारायण साकार हरि के सत्संग में पहुंचे सैकड़ों भक्त की मौत हाथरस में हो गई। जानकारी के मुताबिक सत्संग खत्म होने के बाद जब भक्त वापस लौट रहे थे। इस दौरान बाबा का काफिला निकला। जिसे निकालने के लिए भीड़ को रोका गया। इसी दौरान भगदड़ मच गई और सैंकड़ों की संख्या में भक्त नीचे गिर गए। जिन पर से लोग गुजरते गए और मौत का आंकड़ा बढ़ता गया।
रोते-बिलखते परिजन और सिकंदराऊ सीएचसी के बाहर चारों तरफ लारों बिखरी हुई हैं। बीच में रोते-बिलखते परिजन हैं। हालात इतने भयावह हैं किसी को कुछ समझ ही नहीं आ रहा है। लाशों को चादर तक ओढ़ाने की व्यवस्था नहीं थी। परिजन पहले लाशों के बीच अपनों को खोजते रहे। जब नहीं मिले तो वहीं बैठकर रोने लगे।