केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की कट्टर समर्थक कहीं जाने वाली इमरती देवी को कभी चुनावी मंच से आईटम कहा गया तो कभी वे खुद अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहीं। अब मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने उनके लिए कुछ ऐसा कह दिया जिससे वे एक बार फिर लोकसभा चुनाव में सुर्खियों में हैं। वैसे हर बार चुनाव के दौरान इमरती देवी सुर्खियों में क्यों रहतीं हैं, यह एक शोध का विषय हो सकता है।
FIR के बाद लटकी जीतू पर गिरफ्तारी की तलवार
इमरती देवी को लेकर दिये गया बयान के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। जीतू पटवारी ने सिंधिया समर्थक बीजेपी की पूर्व मंत्री इमरती देवी को लेकर अभ्रद बयान दिया था। जीतू ने कहा था इमरती देवी में अब रस नहीं बचा है।इसके बाद से ही प्रदेश की सियासत गरमा गई है। वहीं ग्वालियर एएसपी निरंजन शर्मा का कहना है मामले की विवेचना की जा रही है। मामला सही पाया जाता है तो उनकी गिरफ्तारी भी की जा सकती है। हालांकि विवाद बढ़ने और वीडियो वायरल पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपने बयान को लेकर माफी मांग ली थी।
कमलनाथ ने आइटम कहा..तो इमरती ने लुच्चा-लफंगा!
2020 के उपचुनाव के दौरान पूर्व सीएम कमलनाथ ने भरे मंच से इमरती देवी को आइटम का दिया था। उसे समय भी वह सुर्खियों में रही थी। बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाकर उपचुनाव में कमलनाथ के खिलाफ जमकर उछाला। कमलनाथ के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने भी चुनावी जनसभा में इमरती देवी को जलेबी कह दिया था। कमलनाथ के आइटम वाले बयान पर भड़की इमरती देवी ने कमलनाथ को चुनावी मंच से लुच्चा लफंगा कहा था। 2022 में डबरा विधानसभा से डॉ.भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाने के मामले में भी इमरती देवी का नाम आया था। इसके बाद इमरती देवी का एक कथित ऑडियो वायरल हुआ। जिसमें वे कांग्रेस विधायक को धमका रही थीं। कांग्रेस विधायक सुरेश राज ने इमरती देवी पर खुद के खिलाफ अश्लील वीडियो बनाए जाने और ब्लैकमेल किए जाने का आरोप लगाया था। वहीं जिला पंचायत सदस्य नेहा परिवार परिहार ने भी अध्यक्ष बनने के लिए 45 लाख रुपए लेने का आरोप इमरती देवी पर लगाया था।
मंत्री रहते इमरती देवी ने कहा था ‘अब कलेक्टर साहब पढ़ेंगे’!
इमरती देवी ने अपने 30 साल के से ज्यादा की राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे। उनके कई बयान सुर्खियों में रहे तो कई मुद्दों पर उनकी किरकिरी भी हुई। बयान और सुर्खियों में रहने वाली इमरती देवी 2019 में जब मंत्री बनीं तो ग्वालियर में गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में आधा भाषण पढ़कर छोड़ दिया था। इमरती देवी गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं थी। लेकिन वह अपना भाषण नहीं पढ़ पाईं और यह कहकर भाषण छोड़ दिया कि अब आगे कलेक्टर साहब पढ़ेंगे। हालांकि बाद में इमरती देवी ने बीमार होने की वजह बताई।
BJP में आईं तो गर्दिश में आ गए सियासी सितारे
साल 2020 में सियासी उलटफेर के दौरान इमरती देवी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी ज्वाइन की और उपचुनाव तक में शिवराज सरकार में मंत्री भी रहीं। भाजपा में शामिल होने के बाद इमरती देवी साल 2020 के उपचुनाव में हार गईं। विधानसभा विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी इमरती देवी को सिंधिया समर्थक होने का फायदा मिला और शिवराज सरकार ने उन्हें लघु उद्योग निगम का अध्यक्ष बनाया। सियासी जानकारों की माने तो 2020 के उपचुनाव में इमरती देवी की हार की एक बड़ी वजह भीतर घात थी। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आईं थीं। ऐसे में उन्हें भीतर घात का सामना करना पड़ा। यह उनकी हर की पहली वजह थी। वहीं डबरा विधानसभा सीट परंपरागत तौर पर कांग्रेस की मानी जाती है क्योंकि यहां से खुद इमरती देवी कांग्रेस के टिकट पर तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुकी हैं। लेकिन जैसे ही उन्होंने बीजेपी का दामन थामा और बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा तो वह हार गईं। इमरती देवी साल 1997 से 2000 तक जिला युवा कांग्रेस में उपाध्यक्ष रहीं। 2002 से 2005 तक वे ग्वालियर जिला कांग्रेस कमेटी की महामंत्री भी रहीं और किसान कांग्रेस कमेटी की प्रदेश महामंत्री रहीं। 2004 से 2009 तक इमरती देवी डबरा ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं। वे कृषि उपज मंडी संचालक भी रहीं। इसी दरमियान जिला पंचायत सदस्य का जिम्मा भी संभाला। साल 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार जीत हासिल कर इमरती देवी विधानसभा पहुंचीं। 2008 से 2014 तक इमरती देवी विधानसभा में महिला एवं बाल कल्याण समिति की सदस्य रही। इमरती देवी 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर दूसरी बार विधायक चुनी गईं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भी इमरती देवी ने कांग्रेस के टिकट पर तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीता। वहीं साल 2014 में हुए लोकसभा के चुनाव में इमरती देवी विधायक रहते हुए भिंड—दतिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी लेकिन उन्हें हर का सामना करना पड़ा। बीजेपी के डॉक्टर भागीरथ प्रसाद ने इमरती देवी को लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त दी थी। 25 दिसंबर 2018 को इमरती देवी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में महिला बाल विकास मंत्री बनी।
इमरती को राजनीति में लाए थे मोहन राठौर
इमरती देवी का जन्म 14 अप्रैल 1975 को दतिया जिले के ग्राम चरवारा में हुआ था। उन्होंने हायर सेकेंडरी तक की शिक्षा ग्रहण की है। इमरती देवी को राजनीति में लाने का श्रेय पूरी तरह से मोहन सिंह राठौड़ को दिया जाता है क्योंकि मोहन सिंह राठौड़ ही पहले स्वर्गीय माधवराव सिंधिया से जुड़े थे और अब ज्योतिराज सिंधिया के समर्थक हैं। इमरती देवी हमेशा ही अपने बयानों और बोलचाल को लेकर सुर्खियां बटोरती रही हैं।