प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा देश में अमृतकाल का देश के लिए अमृतकाल का विचार यह केवल एक बड़ा संकल्प ही नहीं है कि भारत की वह आध्यात्मिक प्रेरणा जो हमें अमरता और स्वास्थ्य का जीना सिखाती है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के भारत मंडपम् में भव्य भवन में भगवान महावीर के दो हजार पांच सौ पचासवें निर्वाण महोत्सव का आरंभ किया।
- 2550वें भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव
- ‘हर युग में जरूर के मुताबिक आते हैं नए विचार’
- ‘विचारों में ठहराव आने पर विचार वाद में बदल जाते हैं’
- ‘वाद विवाद में बदल जाता हैं,विवाद से अमृत निकलता है’
- ‘विवाद से विष निकलता है तो हम हर पल विनाश के बीच बीज बोते हैं’
प्रधानमंत्री ने कहा हर युग में जरूर के मुताबिक नए विचार आते हैं लेकिन जिन विचारों में ठहराव आ जाता है। वह विचार वाद में बदल जाते हैं और वाद विवाद में बदल जाता है लेकिन जब विवाद से अमृत निकलता है और अमृत के सहारे चलते हैं तो हम नव सृजन की तरफ चलते हैं। आगे बढ़ते हैं लेकिन अगर विवाद विश्व निकलता है तो हम हर पल विनाश के बीच बीज बोते हैं। 75 साल तक आजादी के बाद हम हमने वाद किया विवाद किया संवाद किया और इस सारे मंथन से जो निकला अब 75 साल हो गए। हम सब का दायित्व है कि हम उसे निकले हुए अमित को लेकर चले विष से हम मुक्ति ले लें और और इस अमृत कल को जी कर देखें वैश्विक संघर्ष को के बीच देश युद्ध रत हो रहा हैं। ऐसे में हमारे तीर्थ तीर्थंकरों की शिक्षाएं और महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने मानवता को वाद विवाद से बचने के लिए अनेकांतवाद जैसे दर्शन दिए। अनेकांतवाद यानी एक विषय के अनेक पहलुओं को समझना दूसरों के दृष्टिकोण को देखने और स्वीकारने की की उदारता लाना। आस्था की ऐसी मुक्त व्याख्या यही तो भारत की विशेषता है। यही भारत का मानवता को संदेश है। प्रधानमंत्री ने कहा आज संघर्षों में फंसी दुनिया शांति की अपेक्षा कर रही है। नए भारत की नई भूमिका का श्रेय हमारे बढ़ाते समर्थ और विदेश नीति को दिया जा रहा है। वे आपको बताना चाहते हैं हमारे हमारी संस्कृति छवि का बहुत बड़ा योगदान है। आज भारत इस भूमि का में आ गया है क्योंकि आज हम सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को वैश्विक मंचों को पूरे आत्मविश्वास के साथ पेश कर रहे हैं। हम दुनिया को यह बताते हैं कि वैश्विक संघर्ष का समाधान भारत की प्राचीन संस्कृति में है। भारत की प्राचीन परंपरा में है। इसलिए आज विभाजित विश्व के लिए भारत विश्व बंधुत्व के रूप में अपनी जगह बना रहा है।
हम आगे आकर नहीं करते कभी दूसरे देश पर आक्रमण
पीएम ने कहा हम कभी दूसरे देशों को जीतने के लिए आक्रमण करने आगे नहीं आए हमने स्वयं में सुधार कर अपनी कमियों को कर्मियों पर विजय पाई। इसलिए इस मुश्किल दूर आए। लेकिन हर दौर में कोई ना कोई ऋषि मनीषी हमारे मार्गदर्शन के लिए प्रकट हुए बड़ी-बड़ी सभ्यताएं नष्ट हो गई लेकिन भारत ने अपना रास्ता खोज ही लिया। पीएम जैन धर्म के संदेश सह-अस्तित्व और भाईचारे के मार्ग को आलोकित कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज सुबह 10 बजे नई दिल्ली में भगवान महावीर के 2550 वें निर्वाण महोत्सव के उद्घाटन के साथ ही डाक टिकट और सिक्का जारी करने का सौभाग्य मिलेगा। पीएम नरेन्द्र मोदी ने महावीर जयंती के पावन अवसर पर देश के समस्त परिवारजनों को शुभकामनाएं दी और कहा शांति, संयम और सद्भावना से जुड़े भगवान महावीर के संदेश विकसित भारत के निर्माण में देश के लिए प्रेरणापुंज हैं। जैन धर्म का अर्थ ही है। जिन का मार्ग, यानि जीतने वाले का मार्ग। हमने स्वयं में सुधार करके अपनी कमियों पर विजय पाई है। बीते वर्षों में हमारे प्रयासों से दुनियाभर में भारत के प्रति एक उम्मीद ही नहीं जगी है। बल्कि हमारी प्राचीन संस्कृति को लेकर विश्व का नजरिया भी बदला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा देश में अमृत काल चल रहा है। देश के लिए अमृत काल का विचार यह केवल एक बड़ा संकल्प ही नहीं है। भारत की वह आध्यात्मिक प्रेरणा जो हमें अमरता और स्वास्थ्य का जीना सिखाती है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा हम ढाई हजार वर्ष बाद भी आज भगवान महावीर का निर्वाण-दिवस मना रहे हैं। सदियों और सहस्राब्दियों में सोचने के इस सामर्थ्य की वजह से ही भारत न केवल विश्व की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यता है। बल्कि मानवता का सुरक्षित ठिकाना भी है।