लोकसभा चुनाव का प्रचार अब दूसरे चरण में प्रवेश कर गया है। इस दौरान कई अनूठे और अलग नजारे दिखाई दे रहे हैं। प्रचार के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए उन्हें लुभाने अलग-अलग तरीके और हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। कहीं पिता, बेटे, पति और पत्नी को चुनाव में एक दूसरे के लिए कैंपेन करते देखा जा रहा है तो कही यही लोग एक दूसरे के खिलाफ नजर आ रहे हैं, यह आपने देखा और सुना भी होगा लेकिन हम गुजरात की भरुच लोकसभा प्रत्याशी की बात कर रहे हैं। यहां एक ऐसा प्रत्याशी है जिसकी दो दो पत्नियों चुनावी मैदान में पति के लिए प्रचार का मोर्चा संभाले हुए हैं। जी हां यह सीट है गुजरात की भरूच लोकसभा सीट। जहां अपने पति और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी चैतर वसावा के लिए उनकी एक नहीं दो-दो पत्नियों चुनाव मैदान में प्रचार करतीं नजर आ रही हैं।
- 2014 के चुनाव में राजनीति में आए थे चैतर वसावा
- राजनीति में आने के लिए उन्होंने छोड़ी नौकरी
- भारतीय आदिवासी पार्टी से जुड़े
- 2022 के विधानसभा चुनाव में पहले चैतर की अपनी पार्टी से बगावत
- गुजरात में आम आदमी पार्टी के एकमात्र विधायक हैं चैतर
- बीटीपी से बगावत कर चैतर ने जीता विधानसभा का चुनाव
- आप के टिकट पर लड़ रहे भरुच से लोकसभा चुनाव
- आम आदमी पार्टी गुजरात इकाई में कार्यकारी अध्यक्ष भी है चैतर
भरी गर्मी में जब पर 40 से 42 डिग्री हो तो लोग घर से निकलना पसंद नहीं करते हैं लेकिन यह दोनों ही पत्नियां शंकुनतला और वर्षा आपस में मिलकर भरूच क्षेत्र में जगह-जगह अपने पति चेतर वसवा के प्रचार के लिए पसींना बहाती नजर आ रहीं है। एक और चैतर जहां पुरुष और युवा वोटरों से मिलकर उन्हें अपनी बात समझाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। अपनी बात रख रहे हैं तो वहीं दूसरी और उनकी दोनों पत्नियों ने महिला मतदाताओं के बीच जाकर उन्हें साधने का जिम्मा उठा रखा है। चैतर वसावा के तीन बच्चे हैं। जिसमें एक शकुंतला का है तो दो बच्चे वर्षा के हैं। ऐसे में इस चुनावी समर में चैतर वसावा और उनकी दोनों पत्नियों की कहानी रोचक होती जा रही है।
2014 के चुनाव में चैतर वसावा ने राजनीति में प्रवेश किया
बता दे 2014 के चुनाव में चैतर वसावा ने राजनीति में प्रवेश किया था। उसे वक्त चेतर गुजरात में सरकारी नौकरी कर रहते थे। लेकिन राजनीति में आने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़कर नौकरी छोड़ दी। शुरुआत में चैतर छोटू भाई बसवा की पार्टी भारतीय आदिवासी पार्टी यानी बीटीपी से जुड़े इसके बाद 2017 में जब छोटू भाई ने अपने बेटे को दे दे दिया। पैराशूट से चुनाव मैदान में उतरा तो उसकी कमान क्षेत्र के ही हाथ में थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में पहले चैतर ने बीटीपी से बगावत कर दी। चेतर ने छोटू भाई पर मन माफिक तरीके से पार्टी चलाने की रणनीति और मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कई आरोप लगाए। चैतर इसके बाद आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। इसके बाद लोकसभा सीट से अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया। चैतर के इस फैसले से छोटू भाई को बेकफूट पर आना पड़ा। उन्होंने आखिरकार अपनी पार्टी के प्रत्याशी का नाम भरूच से वापस ले लिया। चैतर इस समय आम आदमी पार्टी गुजरात इकाई में कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। चुनावी घोषणा पत्र के मुताबिक उन पर करीब 10 मुकदमें भी दर्ज हैं। इनमें अधिकांश मुकदमें साल 2021 और साल 2022 में दर्ज किए गए थे।
दोनों पत्नियों ने किया था प्रचार, चुनाव जीतकर विधायक बने थे चैतर
बता दें गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी चेतन वसबा सुर्खियों में आए थे। चेतर की दोनों ही पत्नियों ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी जमकर सुर्खियों बंटोरी थी। चेतर आम आदमी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर भरुच सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे। उस समय भी चैतर की मदद के लिए उनकी दोनों पत्नियों ने कमान सामान रखी थी। चैतर करीब 40 हजार वोट से जीतने में सफल भी रहे थे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के हितेश कुमार को चुनाव में हराया था। बीजेपी भरूच में एकमात्र यही सीट हारी थी। इतना ही नहीं कांग्रेस प्रत्याशी की तो यहां जमानत जप्त हो गई थी। बता दें भरूच लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी ने पहली बार 1989 के चुनाव में जीत दर्ज की थी। उसके बाद बीजेपी यहां से एक भी चुनाव नहीं हारी है। इस बार उसे आम आदमी पार्टी की चुनौती मिल रही है। आम आदमी पार्टी की ओर से यहां से चैतर वसावा को टिकट दिया गया है। चैतर आदिवासी बेल्ट से जीतने वाले आम आदमी पार्टी के एकमात्र विधायक भी हैं।