लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच छत्तीसगढ़ में अलग ही परिदृश्य नजर आ रहा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन कांग्रेस की जीत को पलटने वाली भाजपा उत्साह से लबरेज है। इसी उत्साह में पार्टी दावा कर रही है कि राज्य की सभी 11 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करेगी। वहीं कांग्रेस तीन से चार सीट पर जीत हासिल कर भाजपा के दावों को झुठलाने की कोशिश में लगी है। जिन सीटों पर कांग्रेस को अपनी जीत की संभावना नजर आ रही है। उस सीटों पर मुद्दे नहीं बल्कि कांग्रेस प्रत्याशियों का कद महत्वपूर्ण है।
- छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी
- नजर आ रहा छत्तीसगढ़ में अलग ही परिदृश्य
- 2023 के विधानसभा चुनाव में मिली थी कांग्रेस को हार
- विधानसभा चुनाव में जीत से बीजेपी इस बार उत्साहित
- बीजेपी कर रही है सभी 11 सीट पर जीत का दावा
- कांग्रेस को तीन से चार सीट जीतने की उम्मीद
- कांग्रेस को जीत की उम्मीद वहां मुद्दे नहीं प्रत्याशियों का कद महत्वपूर्ण
मोदी फैक्टर के सामने इन प्रत्याशियों के कद को आगे कर कांग्रेस इन सीटों पर कांग्रेस चुनाव मैदान में हैं। वहीं कांग्रेस की लड़ाई बीजेपी को सभी 11 की 11 सीट जीतने से रोकने पर फोकस है। कांग्रेस के रणनीतिकार इस बार ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद जता रहे हैं। बड़ी वजह ये है कि बीजेपी प्रत्याशियों के बदले कांग्रेस प्रत्याशी छवि के मामले में बेहतर नजर आ रहे हैं।
19 अप्रैल को बस्तर से होगी वोटिंग की शुरुआत
बस्तर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां 19 अप्रैल को पहले चरण में वोटिंग होगी। कांग्रेस के पूर्व मंत्री कवासी लखमा के सामने भाजपा के महेश कश्यप मैदान में हैं। कवासी अपनी ठेठ शैली के चलते चर्चा में हैं। पढ़े-लिखे नहीं होने के बाद भी फरटिदार भाषण और चुटीला अंदाज ही उनकी ताकत माना जा रहा है। इसी तरह कांकेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के बीरेश ठाकुर के सामने भाजपा के भोजराज नाग हैं। हालांकि भोजराज नाग धर्मांतरण के विरोध में काफी सक्रिय रहे। लेकिन उनके सामने बीरेश की सक्रियता का असर साफ दिख रहा है। बीरेश लगातार क्षेत्र में सक्रिय बने रहे। इस कारण पहचान का संकट नहीं है। कोरबा की बात करें तो कांग्रेस सांसद ज्योत्सना महंत के सामने बीजेपी की दमदार महिला नेत्री सरोज पांडेय को मैदान में उतारा गया है। इस वजह से यहां पर चुनावी टक्कर नजर रही है। वहीं कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है। उन्हें गोंड समाज का समर्थन कांग्रेस को मिलेगा। दरअसल गोंड समाज के लोग यहां निर्णायक स्थिति में हैं। दूसरी ओर बीजेपी के रणनीतिकार आदिवासियों को जोड़ने की रणनीति पर काम करते नजर आ रहे हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी का चेहरा हर जगह सामने किया जा रहा है।
भूपेश के मैदान में उतरने से कांग्रेसियों में उत्साह
बात करें राजनांदगांव सीट की तो पूर्व सीएम भूपेश बघेल को प्रत्याशी बनाने से कांग्रेसियों में उत्साह दोगुना नजर आ रहा है। भूपेश को उनके कद का काफी लाभ मिलते नजर आ रहा है। संतोष पांडेय बीजेपी प्रत्याशी हैं, लेकिन वे पूरी तरह से पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ते नजर आ रहे हैं। हम जांजगीर सीट की बात करें तो कांग्रेस के पूर्व मंत्री शिव डहरिया मैदान में हैं। उनको चुनौती देने के लिए भाजपा ने कमलेश जांगड़े मैदान में उतारा है। ऐसे में यहां पर कांग्रेस के शिव डहरिया को अपने अनुभव और छवि का फायदा मिलता दिखाई दे रहा है। हालांकि उनको मोदी लहर कम करने के लिए न केवल मशक्कत करनी पड़ रही है बल्कि सतनामी समाज के वोटों को वे अपनी ओर मोड़ने की पूरी कोशिश करते नजर आ रहे हैं।
रायपुर में ब्रजमोहन बने अपराजेय
महासमुंद सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू को चुनावी मैदान में उतारकर साहू वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास किया है। इससे चुनाव रोचक होता नजर आ रहा है। उनके सामने बीजेपी की रुपकुमारी चौधरी हैं। यहां मोदी का असर कुछ अधिक दिख रहा है। कांग्रेस की उम्मीद से परे रायपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल बड़ी जीत का दावा करते अपने चुनाव प्रचार को गति दे रहे हैं। अग्रवाल के सामने कांग्रेस के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय मैदान में हैं। बताया जाता है कि रायपुर में बृजमोहन अग्रवाल की अपराजेय वाली छवि है। वहीं अग्रवाल के कद के साथ मोदी का चेहरा भी यहां काम कर रहा है।
फिर दुर्ग बचाने उतरे विजय बघेल
दुर्ग लोकसभा सीट पर भाजपा ने पूर्व सांसद विजय बघेल को फिर से मैदान में उतारा है। पिछली बार बघेल तकरीबन चार लाख वोटों से जीतकर संसद पहुंचने में कामयाब रहे थे। वहीं रायगढ़ और सरगुजा के साथ बिलासपुर में भी भाजपा मोदी के नाम और राममय माहौल के भरोसे नजर आ रही हैं तो कांग्रेस अपने प्रत्याशियों के भरोसे है।