मध्य प्रदेश में पहले चरण में 6 सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होगा। इस दौरान करीब 1 करोड़ 12 लाख मतदाता अपने 6 सांसदों का चुनाव करेंगे। कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है। वैसे मप्र में 2019 में कांग्रेस को मिली एक मात्र छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर चुनाव पहले ही चरण में है। जहां कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ एक बार फिर उम्मीदवार हैं। बीजेपी 2024 में कांग्रेस की इस इकलौती सीट को भी छीनने के लिए पूरी कोशिश में जुटी है। वहीं कांग्रेस मंडला में इस बार बाजी पलटने की कोशिश में जुटी है। 2023 के विधानसभा चुनाव में मंडला की 8 में से 5 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस विधायकों ने जीत दर्ज की है।
19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव का पहला चरण
- पहले चरण में एमपी की 6 सीट पर होगा मतदान
- छिंदवाड़ा, मंडला, सीधी में 19 अप्रैल को मतदान
- जबलपुर, शहडोल और बालाघाट में भी 19 अप्रैल को मतदान
- पहले चरण की 6 सीट पर बीजेपी प्रत्याशी दे रहे टक्कर
- जबलपुर-बालाघाट में बीजेपी ने उतारा नया चेहरा
- जबलपुर में आशीष दुबे और दिनेश यादव की टक्कर
- छिंदवाड़ा में नकुल नाथ को बंटी विवेक साहू की चुनौती
- सीधी में बीजेपी ने उतारा इस बार ब्राह्मण उम्मीदवार
- डॉ.राजेश मिश्रा का कांग्रस के कमलेश्वर पटेल से मुकाबला
- शहडोल में हिमाद्री सिंह के सामने कांग्रेस के फुंदेलाल मार्को
- मंडला में फग्गन सिंह कुलस्ते के सामने ओमकार सिंह मरकाम
छिंदवाड़ा में BJP के चक्रव्यू से ”नाथ” व्याकुल
छिंदवाड़ा में कांग्रेस प्रत्याशी नुकलनाथ को घेरने के लिए बीजेपी ने चक्रव्यूह रचा है। मुकाबले बीजेपी ने प्रत्याशी विवेक बंटी साहू को चुनाव मैदान में उतारा है। बीजेपी ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस में बड़ी सेंधमारी कर दी है। छिंदवाड़ा महापौर विक्रम अहाके को बीजेपी ने दल-बल के साथ शामिल हो चुके है। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश प्रताप शाह भी विधानसभा से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए। वहीं कमलनाथ के सबसे करीब माने जाने वाले दीपक सक्सेना और उनके बेटे भी अब बीजेपी के पाले में खड़े हैं। बता दें 2019 के लोकसभा चुनाव में नकुलनाथ को 8 लाख 22 हजार वोट मिले थे, जबकि बीजेपी प्रत्याशी को 8 लाख 5 हजार वोट मिले। करीब 17 हजार के अंतर को बचाना नकुलनाथ के लिए वाकई मुश्किल काम होगा। खासकर इसलिए भी कि अब न तो कांग्रेस की प्रदेश में सरकार है और न ही साध देने वाले हैं। छिंदवाड़ा जिले की छह में से 5 विधानसभा सीटों पर बीजेपी कब्जा कर चुकी है।
सीधी-जबलपुर सीट पर ब्राह्मण और ओबीसी में टक्कर
जबलपुर और सीधी के सांसद अब विधायक बन चुके हैं। इस वजह से बीजेपी ने प्रत्याशी बदलकर मैदान में उतारे हैं। जबलपुर सीट पर पिछले 30 साल से बीजेपी का कब्जा है। वहीं सीधी मेंं 1998 के बाद से सिर्फ एक उपचुनाव में बीजेपी हारी है। सीधी लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं। जिनमें सीधी, चुरहट, धौहनी, सिंहावल, चितरंगी, सिंगरौली, देवसार शामिल हैं। इनमें से केवल चुरहट कांग्रेस के पास है। सीधी में लड़ाई जातिगत बन गयी है। महाकौशल अंचल के जबलपुर में बीजेपी ने प्रदेश मंत्री रहे आशीष दुबे को टिकट देकर मैदान में उतारा है। दुबे का पहला चुनाव है। दुबे का मुकाबले कांग्रेस ने दिनेश यादव से है। साल 1984 से आशीष दुबे राजनीति में सक्रिय हैं। बीजेपी जिलाध्यक्ष समेत कई बड़े पदों पर रह चुके हैं। पिछले चुनाव की बात करें तो कांग्रेस के दिग्गज नेता विवेक तन्खा को बीजेपी के राकेश सिंह से करारी हार का सामना करना पड़ा था। राकेश सिंह को 8 लाख से अधिक वोट मिले थे, जबकि विवेक तन्खा को महज 3 लाख 71 हजार वोट मिले।
सीधी में ब्राह्मण बनाम पटेल के बीच चुनावी जंग की परंपरा पुरानी है। भले ही उम्मीदवार चाहे जिस जाति से हो, लेकिन इस बार यह स्पर्धा उम्मीदवार के गिर्द आमने-सामने की हो गयी है। बीजेपी ने इस बार ब्राह्मण उम्मीदवार डॉ.राजेश मिश्रा को टिकट देकर मैदान में उतारा है तो कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल मैदान में उतरे हैं। कमलेश्वर पटेल पूर्व शिक्षा मंत्री इंद्रजीत पटेल के बेटे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के मैदान में भी वे उतरे थे लेकिन हार गए थे।
बालाघाट में BJP की डॉ.भारती का कांग्रेस के सम्राट से मुकाबला
बालाघाट में बीजेपी ने मौजूदा सांसद ढाल सिंह बिसेन का टिकट काट दिया है। यहां से डॉ.भारती पारधी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। वे महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में सदस्य रही हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के सम्राट सारस्वत से होगा। सम्राट के पिता अशोक सिंह सारस्वत पूर्व विधायक रह चुके हैं। जबकि सम्राट स्वयं जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। लिहाजा मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद है।
मंडला में फिर लड़ाई कुलस्ते बनाम मरकाम
मंडला में कांग्रेस के लिए इस बार मौका है। जिले की 8 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के पास पांच सीट हैं। हालांकि उसके कई नेता बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। फिर भी मंडला में डिंडोरी के विधायक ओमकार सिंह मरकाम इस बार बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते को टक्कर दे सकते हैं। मरकाम कमलनाथ सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी मुकाबला ओमकार मरकाम और फग्गन सिंह कुलस्ते के बीच हुआ था। जिसमें बाजी बीजेपी के हाथ लगी थी। इसके दस साल बाद फिर कुलस्ते बनाम मरकाम की लड़ाई मंडला सीट पर रोचक होने जा रही है। बीते 2019 के लोकसभा चुनाव में फग्गन सिंह कुलस्ते को 7 लाख 37 हजार वोट मिले थे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी कमल सिंह मरावी को 6 लाख 39 हजार वोट मिले थे।
शहडोल में मार्को का हिमाद्री से मुकाबला आसान नहीं
शहडोल लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने पुष्पराजगढ़ से विधायक फुंदेलाल मार्को को उम्मीदवार बनाया है। फुंदेलाल का मुकाबला अपनी ही पार्टी की नेता रहीं हिमाद्री सिंह से है। हिमाद्री ने 2019 का चुनाव बीजेपी के टिकट पर जीतकर संसद तक का सफर पूरा किया था। 2019 में दिग्गज कांग्रेस नेता दिवंगत दलबीर सिंह को हिमाद्री सिंह ने करीब साढ़े 4 लाख वोट से परास्त किया था। ऐसे में कांग्रेस के मार्को के लिए शहडोल में बीजेपी उम्मीदवार हिमाद्री सिंह से मुकाबला आसान नहीं है।