इस साल होली की तारीख को लेकर कुछ लोगों में कंफ्यूजन की स्थिति बन रही है। दरअस पूर्णिमा तिथि के 24 मार्च को देर से शुरू होने और फिर पूरे दिन भद्रा होने से ऐसी स्थिति बन रही है। भद्रा में होलिका दहन किसी भी हालत में नहीं किया जाता है। इसलिए भद्रा के बाद रात को 24 मार्च 11 बजे के होलिका दहन का मुहूर्त बन रहा है। जैसा सभी जानते हैं कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है। होलिका दहन के अगले दिन पड़वा पर रंगों की होली खेली जाती है।
24 मार्च की रात 11.13 से 12.33 तक शुभ मुहूर्त
- फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है होली पर्व
- शुभ मुहूर्त में होलिका दहन और पूजन का मिलता है विशेष लाभ
- होलिका दहन के अगले दिन पड़वा पर उड़ता है रंग गुलाल
- इस बार है 24 मार्च को प्रदोष काल वाली पूर्णिमा
रंगों के त्यौहार होली का हिंदू धर्म में खासा महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर ही मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन होता जबकि दूसरे दिन रंगों से होली खेली जाती है। मतलब रंग गुलाल अबीर से होली का त्योहार मनाया जाता है। होलिका दहन और रंग गुलाल से होली खेलने के लिए अगर शुभ मुहूर्त का भी ख्याल रखा जाए तो उसका और विशेष लाभ मिलता है, शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस रंग बिरंगे त्यौहार में बस चंद दिन ही बचे हैं। ऐसे में जहां लोगों में होली को लेकर काफी उत्साह है, वहीं एक कंफ्यूजन भी है कि होलिका दहन और रंग वाली होली कब है।
होली के पर्व पर प्रदोष का महत्व
होली के पर्व पर प्रदोष काल का महत्व होता है और भद्रा काल को होलिका दहन पर जरूर विचार किया जाता है। इस बार 24 मार्च को प्रदोष काल वाली पूर्णिमा है। इसके अगले दिन 25 मार्च को प्रदोष नहीं होगा। क्योंकि दोपहर के समय ही पूर्णिमा समाप्त हो जाएगी। इसके अतिरिक्त 24 मार्च की रात को भद्रा काल प्रारंभ होगा। ऐसे में कुछ ज्योतिषियों का मत है कि 25 मार्च को होली मनाई जाए, लेकिन इस दिन उदया तिथि होने के बाद भी होलिका दहन नहीं होगा और न ही अगले दिन 26 मार्च को होली खेली जा सकेगी, क्योंकि 26 मार्च को दूज है। माना जाता है कि भद्रा में भी पुच्छ काल और मुख काल देखा जाता है। इन दोनों के समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन किया जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार 24 मार्च को भद्रा पुच्छ काल शाम 6 बजकर 34 मिनट से शाम 7 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। वहीं शाम 7 बजकर 54 मिनट से रात 10 बजकर 7 मिनट तक भद्रा मुख काल रहेगा। भद्रा काल में होलिका दहन भूलकर भी नहीं किया जाता। इसलिए होलिका दहन का मुहूर्त इसके बाद 11 बजकर 13 मिनट से बन रहा है। मुहूर्त 24 मार्च की रात 11 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट के बीच सबसे उत्तम है।
होली खेलने और होलिका दहन का मुहूर्त
ज्योतिषों की माने तो इस बार होली फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी उपरांत पूर्णिमा तिथि को पड़ रही है। इस बार 24 मार्च रविवार को होलिका दहन होगा। इस दिन रविवार पड़ रहा है। 24 मार्च को जैसे ही होली का रंगारंग पर्व शुरू होगा। उस दिन भद्रा काल भी प्रारंभ हो रहा है। ऐसे में पंचांग के अनुसार रात में 10 बजकर 28 मिनट के बाद यानी करीब सवा 11 बजे होलिका दहन करना शुभ होगा। होली के दहन के लिए सबसे पहले होलिका बनाएं और जैसे ही भद्रा समाप्त हो होलिका की सिंदूर, हल्दी, चावल के साथ अगरबत्ती और नारियल बताशा लेकर उसकी पूजा करें। किसी पात्र में अग्नि लेकर वहां होलिका के दो बार या तीन बार चक्कर लगाना चाहिए। इसके बाद ही होलिका में अग्नि को प्रज्वलित करें। अग्नि प्रज्वलित करने के बाद उसकी लौ को जरूर देखना चाहिए।