लोकसभा की रणभेरी बजने वाली है। इससे पहले आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की चार सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिये हैं। दिल्ली की चार सीट पर चुनाव लड़ रही आप ने मौजूदा तीन विधायकों पर दांव खेलते हुए उन्हें लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। आप ने विधायकों को लोकसभा टिकट देने पर कहा जात-पात भरोसा नहीं करती। लेकिन आम आदमी पार्टी ने इन उम्मीदवारों के जरिए क्षेत्रीय समीकरण बैठाने के साथ बीजेपी विरोधी वोट को एकजुट करने की भी कवायद की है। आप की ओर से घोषित लोकसभा के चार उम्मीदवारों में तीन विधायक हैं। आम आदमी पार्टी के सोमनाथ भारती मालवीय नगर और सहीराम तुगलकाबाद विधानसभा क्षेत्र से 3 बार से लगातार विधायक चुने गए हैं। कुलदीप कुमार साल 2020 में पहली बार विधायक चुने गये थे। कुमार ने दिल्ली में युवा दलित चेहरे के रूप में अपनी पहचान बनाई। वहीं चौथा टिकट महाबल मिश्रा को दिया गया है। मिश्रा दो बार सांसद रह चुके हैं। मौजूदा दौर में उनका बेटा विनय कुमार मिश्रा द्वारका सीट से आप का विधायक है। महाबल पश्चिमी दिल्ली से पांचवीं बार लोकसभा चुनाव मैदान में नजर आएंगे।
- कभी भी बज जाएगी लोकसभा की रणभेरी
- आप ने दिल्ली की चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे
- दिल्ली की चार सीट पर चुनाव लड़ रही है आप
- मौजूदा तीन विधायकों पर दांव खेला
- तीन विधायकों को बनाया लोकसभा प्रत्याशी
- आम आदमी पार्टी ने क्षेत्रीय समीकरण बैठाने की कोशिश
- लोकसभा के चार उम्मीदवारों में तीन विधायक हैं
एससी होने के बाद भी जनरल सीट से मैदान में आप के कुलदीप
कोंडली से विधायक कुलदीप SC समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट एक सामान्य सीट है। उनकी उम्मीदवारी काफी महत्वपूर्ण माना जा रही है, क्योंकि आमतौर पर राजनीतिक दल एससी समाज से ताल्लुक रखने वाले लोगों को सिर्फ उनके लिए आरक्षित सीट पर ही टिकट देते रहे हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने कुलदीप को इस जनरल सीट से उतारकर बड़ा दांव खेला है। कुलदीप 2017 में पहली बार पार्षद चुने गए और पहली बार में ही आम आदमी पार्टी ने उन पर भरोसा जताते हुए ईस्ट एमसीडी में उन्हें विपक्ष का नेता बना दिया था। यहां कुलदीप एक युवा दलित नेता के रूप में अपनी अलग राजनीतिक पहचान बनाने में कामयाब रहे। बाद में पार्टी ने उन्हें विधानसभा का टिकट दिया और 2020 में वे पहली बार विधायक चुने गए। उन्हें आप का उपाध्यक्ष भी बनाया गया है।
वेस्ट से मैदान में महाबल
आम आदमी पार्टी के लिए वेस्ट दिल्ली से महाबल मिश्रा सबसे योग्य उम्मीदवार माने जा रहे थे। 1990 के दशक से लेकर साल 2022 तक कांग्रेस पार्टी में रहे महाबल मिश्रा को लंबा राजनीतिक अनुभव है। कांग्रेस के टिकट पर साल 1997 में पहली बार द्वारका से पार्षद चुने गए। इसके बाद वे 1998 से लेकर 2008 तक लगातार तीन बार नसीरपुर और द्वारका विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक चुने गए थे। 2009 में वह वेस्ट दिल्ली से कांग्रेस के सांसद भी बने। 2022 में उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। इसमें उनके बेटे विनय मिश्रा की भी अहम भूमिका रही, जो द्वारका से पार्टी के विधायक है। पार्टी को उम्मीद है कि मिश्रा की उम्मीदवारी से कांग्रेस समर्थकों के साथ ही उनका पूर्वांचल बैकग्राउंड भी वोटों में सेंध लगाने में मददगार साबित होगा।
पहलवान जी के नाम से मशहूर हैं सहीराम
वहीं दिल्ली के तुगलकाबाद से विधायक सहीराम भी राजनीति के पुराने खिलाड़ी माने जाते रहे हैं। उन्हें ‘पहलवान जी’ के नाम से पहचाना जाता है। सहीराम ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पिछले दो विधानसभा चुनावों में लगातार बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी के भतीजे विक्रम बिधूड़ी को चुनाव में परास्त किया। 2008 और 2013 में भी उन्होंने इसी सीट
से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में रमेश बिधूड़ी ने उन्हें हरा दिया था। बतौर पार्षद उन्होंने बीएसपी के टिकट पर तीन बार एमसीडी का चुनाव भी जीता और साउथ एमसीडी में डिप्टी मेयर भी रहे। गुर्जर समाज से ताल्लुक रखने वाले सहीराम अपनी दबंग छवि के लिए पहचाने जाते हैं। वहीं ग्रामीण पृष्ठभूमि के स्थानीय लोगों से सीधा जुड़ना
उनके लिए हमेशा से मददगार साबित होता रहा है।
मालवीय नगर से तीन बार विधायक रहे सोमनाथ भारती
दिल्ली की मालवीय नगर सीट से लगातार तीन बार विधायक का चुनाव जीतते आ रहे सोमनाथ भारती वैसे तो पेशे से वकील हैं। साल 2013 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी ने उन पर भरोसा दिखाते हुए केजरीवाल सरकार में मंत्री बनाया था। हालंकि उस समय सरकार 49 दिन ही चल पाई थी। उसके बाद सोमनाथ विधायक बने लेकिन मंत्री नहीं बन पाए। वे दिल्ली सरकार की तरफ से डीडीए के बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं। पिछले दिनों उन्हें दिल्ली सरकार ने जल बोर्ड का उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया था। मूलतः पूर्वांचली समाज से ताल्लुक रखने वाले आईआईटियन सोमनाथ भारती का एक-दो बार विवादों में नाम आया लेकिन आम आदमी पार्टी ने उन पर भरोसा कायम रखा है।