कोविड काल से लगातार ये कहा जा रहा था कि भारत अब तेजी से आगे बढ़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बात पर भरोसा जताया था कि भारत की अर्थवस्था अब बाउंस बैक करेगी। अब तीन साल बाद गोल्ड मैन स्नेच और मोर्गन स्टेनली जैसी संस्था भी अगले एक दशक के लिए दक्षिण एशियाई जैसे देशो पर दांव लगाने की बात कर रही हैं। दक्षिण एशियाई देशों में भी निवेशकों के पहली पसंद के तौर पर भारत को देखा जा रहा है। वैसे तो दक्षिण एशियाई देशों की बात करें तो चीन और भारत दोनों पर ही इनेवेस्टर्स की नजर है। यही कारण है कि चीन में महामारी से हुई तबाही और लगातार महामारी के प्रकोप के चलते निवेशक चीन से तौबा करते दिख रहे हैं। वहीं ये निवेशक अब भारत की ओर रूख करने लगे हैं। भारत में निवेश करने वालों में अब जापानी निवेशक भी शामिल हैं।
- निवेशकों को चीन नहीं, भारत चाहिए
- कोविड के बाद भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था
- दक्षिण एशियाई देशों के निवेशकों के पहली पसंद बना भारत
- भारत में निवेश करने वालों में जापानी निवेशक भी शामिल
- भारत में विकास और तेजी से बढ़ा इनफ्रास्ट्रचर
- बीएसई सेंसेक्स में अप्रैल 2023 के बाद आई तेजी
- महामारी से हुई चीन में भारी तबाही
- महामारी के प्रकोप के चलते चीन से दूर हुए निवेशक
- चीन से तौबा करते दिख रहे हैे निवेशक
- चीन का संघाई शेनजेन सीएसआई 300 इंडेक्स में गिरावट
इसके पीछे की वजह पिछले कुछ सालों में देश में हुआ विकास और तेजी से बढ़ा इनफ्रास्ट्रचर है। देश में एयरपोर्ट की संख्या से लेकर फ्लाइट तक सभी तेजी से वृद्धि हुई है। सड़कों का जाल बिछ चुका है और यही कारण है कि लोगों को भारत में निवेश करने पर लांग टर्म ग्रोथ दिखाई दे रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार सिंगापुर की एमएंउजी इंनवेस्टमेंट का मत है कि भारत पर विश्वास करने के एक नहीं कई कारण हैं। यहां भारत में एक लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी है। वैसे भारत में निवेश को लेकर निवेशकों का यह रुख नया नहीं है। ग्लोबल स्तर पर भारत की ओर निवेशकों के बढ़ते कदम की आहट दोनों देशों भारत और चीन के शेयर बाजारों से समझा जा सकता है। जहां भारत में बीएसई सेंसेक्स में अप्रैल 2023 के बाद तेजी दिखाता रहा है तो वहीं दूसरी ओर चीन का संघाई शेनजेन सीएसआई 300 इंडेक्स में गिरावट दर्ज की गई है। भारी संख्या में विदेशी निवेशकों में चीन के प्रति अविश्वास दिखाई दिया।
चीनी स्टॉक मार्केट छोड़कर भाग रहे विदेशी निवेशक
चीन का स्टॉक मार्केट छोड़कर ये विदेशी निवेशक भाग रहे हैं और भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते नजर आ रहे हैं। भारत के 4 ट्रिलियन डॉलर के शेयर बाजार में विदेशी निवेशक तेजी से आज रहे हैं। इतिहास गवाह हैं कि भारत का शेयर बाजार ही नहीं भारत की अर्थव्यवस्था की गति दोनों एक दूसरे से जुड़े रहे हैं। इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 7 प्रतिशत बरकरार रही तो बाजार में भी इतने की वृद्धि देखने को मिल सकती है। पिछले 20 सालों के दौरान भारत में घरेलु प्रोडक्ट एंड मार्केट कैपिटल करीब 500 बिलियन डॉलर से बढ़कर 3 . 5 ट्रिलियन डॉलर पहुंच पर चुका है।
अमेरिकी भी देख रहे भारत को ललचाई नजरों से
वैसे तो भारत और चीन दोनों देशों के बीच प्रतिद्वंदिता किसी से छिपी नहीं है। पश्चिमी देशों को अगर चीन एक खतरा नजर आया तो स्वाभाविक तौर पर उसका लाभ भारत को ही मिलेगा। अमेरिका जैसे देश भी भारत के साथ मजबूत व्यापार करना चाहता है। जबकि अमेरिका कई बार भारत की टैक्स प्रणाली का मुखर आलोचक रहा है। भारत मौजूदा समय में दुनियाभर के 7 फीसदी आईफोन का उत्पादन करता है।यह देश की बढ़ती अर्थव्यस्था का एक संकेत है।
सरकार का पूरा फोकस इन्फ्रास्ट्रक्चर पर
पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत सरकार ने हाल ही में अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने का काम तेजी से किया है। जिसमें पीएम गति शक्ति योजना के तहत पोर्ट ही नहीं एयरपोर्ट के साथ रेलवे और सड़क संपर्क बढ़ाने को लेकर काम किया गया है। इस साल अंतरिम बजट में भी केन्द्र सरकार ने करीब 134 बिलियन डॉलर की व्यवस्था की है।