नेता जी नहीं रहे लेकिन राजैनतिक दांव पेच में माहिर नेताजी के राजनैतिक जीवन से जुड़ी एक ऐसी घटना है जो उनके पूरे करियर में सबसे ज्यादा चर्चित रही। इस घटना को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली घटना भी कहना गलत नहीं होगा। जानें इस घटना के बारे में….
बात 1995 की है
1995 में नेता जी और बसपा सुप्रीमो कांशीराम के बीच गठबंधन टूटने के बाद जो हुआ उसका विवरण अजय बोस की किताब ‘बहन जी’ में मिलता है। सन 1993, में बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए उतरप्रदेश की धऱती में ही बने दोनों दल सपा और बसपा ने आपस में हाथ मिलाया। हाथ मिलाने के साथ दोनों की गठबंधन सरकार ने काम करना शुरू कर दिया लेकिन अचानक किन्ही राजनैतिक मतभेदों के चलते 1995 में बसपा ने सपा से समर्थन वापस ले लिया। समर्थन वापसी के बाद जो हुआ, वो बातें और वो वाकया एक पूरी पीढ़ी गुजर जाने के बाद भी उस दौर के नेताओं के बीच ताजा है।
क्या था गेस्ट हाउस कांड?
समर्थन वापसी की खबरों के बीच मायवती जो उस समय बसपा की दूसरे नंबर की नेता हुआ करती थीं वो लखनऊ के गेस्ट हाउस में विधायकों की बैठक ले रही थीं। लखनऊ के मीराबई गेस्ट हाउस में मायावती कमरा नंबर एक में रूकी थीं। विधायकों के साथ बैठक चल रही थी। मायावती की बैठक के दौरान तकरीबन तीन बजे अचानक हथियारों से लैस भीड़ आ गई। भीड़ इतने गुस्से में थी कि मायावती की बैठक के बीच से ही विधायकों को बंदी बनाकर गेस्ट हाउस से सीएम बंगले ले जाया गया। उसमें से कुछ बचकर निकले तो कुछ से सपा के समर्थन के पन्नों पर हस्ताक्षर लिए जा रहे थे।
फिर भीड़ ने मायावती को घेरा
इसके बाद हथियारबंद भीड़ ने गेस्ट हाउस में मायावती को घेर लिया। अजय बोस की किताब ‘बहन जी’ के मुताबिक गेस्ट हाउस पहुंची सपा की कथित भीड़ ने मायावती को कमरे में बंद करके उनके साथ मारपीट की और उनके कपड़े फाड़ दिए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उन्मादी भीड़ दलित नेता की आबरू तक के लिए उतारू थी। इस दौरान बीजेपी के नेता व संघ के समर्थक ब्रम्हदत द्विवेदी ने कार्यकर्ताओं के साथ लाठियां लेकर भीड़ को अलग किया। इस दौरान गेस्ट हाउस के सुरक्षाकर्मी भी पूरी ताकत के साथ मायवती को बचा रहे थे। किसी तरह भीड़ को काबू किया गया।
मायवाती और मुलायम की दुश्मनी
इसी कांड के बाद से बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा संरक्षक मुलायम सिह यादव आपस में दुश्मन बन गए। उनकी दुश्मनी राजनैतिक के साथ साथ व्यक्तिगत भी हो गई। मायवाती ने आरोप लगाया कि मुलामय सिंह यादव उनकी हत्या कराना चाहते थे। उसके बाद से दोनों नेता कभी राजनैतिक मंचों पर एक साथ नहीं दिखे।
2019 में फिर बनी बुआ-बबुआ की जोड़ी
गेस्ट हाउस कांड के सालों बाद 2019 में फिर सपा औऱ बसपा एक साथ एक मंच पर दिखे। इस बार बुआ और बबुआ की जोड़ी एक मंच पर थी। कांड के कई साल बीतने के बाद एक बार फिर बीजेपी को सत्ता से दूर करने के लिए बुआ और बबुआ ने जोड़ी बनाई, इस जोड़ी के बनते ही गेस्ट हाउस कांड फिर सुर्खियों में आ गया था।
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