विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद मध्यप्रदेश में बीजेपी के नेताओं ने लोकसभा चुनावों की तैयारी में खुद को झोंक दिया है। वहीं भाजपा इस तैयारी में भी है कि वह एमपी से राज्यसभा सदस्यों को भी लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारे। दरअसल इसकी वजह भी है और वो ये है यदि पार्टी राज्यसभा सदस्यों को लोकसभा का चुनाव मैदान में उतारती है तो जीतने वालों की राज्यसभा सीट खाली होगी। इससे पार्टी की ओर से राज्यसभा चुनाव में नए लोगों को अवसर दिया जा सकता है। राज्यसभा सदस्यों को लोकसभा का चुनाव लड़वाती है तो जीतने वालों की सीट रिक्त होगी। इससे पार्टी राज्यसभा चुनाव में नए लोगों को अवसर दिया जा सकता है। विधानसभा में प्रचंड जीत के साथ परिस्थितियां बीजेपी के लिए चुनावी मौसम अनुकूल बना गया है। ऐसे में बीजेपी की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया और कविता पाटीदार को मैदान में उतार सकती है। पार्टी सूत्रों की माने तो पार्टी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कविता पाटीदार को इस बार बीजेपी लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारने के विकल्प पर विचार कर रही है।
- राज्यसभा सदस्य हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया और कविता पाटीदार
- लोकसभा चुनाव के मैदान में दोनों नजर आ सकते हैं
- गुना या ग्वालियर सीट से मैदान में उतर सकते हैं सिंधिया
- नरोत्तम मिश्रा को भोपाल सीट से चुनाव लड़ा सकती है बीजेपी
भोपाल सीट से मैदान में उतर सकते हैं नरोत्तम मिश्रा
दतिया से विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा को बीजेपी भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। बीजेपी इस तैयारी में है कि वह एमपी में राज्यसभा सदस्यों को लोकसभा चुनाव में उतारे। पार्टी नेताओं के मुताबिक भोपाल से ऐसे चेहरे को लोकसभा में प्रत्याशी बनाए जाने का विचार किया जा रहा है जो हिंदूवादी हो। नरोत्तम मिश्रा जब गृह मंत्री थे उस समय ही मध्यप्रदेश में लव जिहाद कानून बनाया था। दंगों के दौरान हुए नुकसान की भरपाई पत्थरबाजों से करने का भी कानून इसी दौरान बनाया गया था। ऐसे में पार्टी भी चाहती है कि मिश्रा का पुनर्वास लोकसभा चुनाव में किया जाए। दरअसल इसकी वजह यह है कि पार्टी राज्यसभा सदस्यों को यदि लोकसभा का चुनाव लड़वाती है तो जीतने वालों की सीट रिक्त होगी। इससे पार्टी राज्यसभा चुनाव में नए लोगों को अवसर दे सकती है। दरअसल विधानसभा में प्रचंड जीत के साथ परिस्थितियां बीजेपी के लिए और अच्छी हो चुकी हैं। बीजेपीऔर कांग्रेस में सीटों का अंतर बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में पार्टी को राज्यसभा सीटों का नुकसान नहीं होगा। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में भी सात सांसदों को प्रत्याशी बनाया था, इनमें पांच को जीत मिली।
सिंधिया की पसंद गुना-शिवपुरी या ग्वालियर सीट
पार्टी सूत्रों बताते हैं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी या ग्वालियर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरने के इच्छुक बताए जाते हैं। दरअसल अप्रैल में बीजेपी के राज्यसभा सदस्य अजय प्रताप सिंह और कैलाश सोनी का कार्यकाल भी पूरा होने वाला है। वहीं धर्मेंद्र प्रधान भी मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं। प्रधान का कार्यकाल भी इसी अप्रैल में पूरा हो रहा है। उन्हें भी ओडिशा से लोकसभा चुनाव मैदान में उतारने पर पार्टी विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने राज्यसभा में भेजे जाने वाले नेताओं के बारे में पार्टी ने अघोषित नियम बना रखे हैं। इन नियमों के तहत किसी भी नेता को दो बार से ज्यादा राज्यसभा में नहीं भेजा जाएगा। लिहाजा इसी रणनीति के तहत एमपी से राज्यसभा में भेजे गए धर्मेंद्र प्रधान का दूसरा कार्यकाल भी अप्रैल में समाप्त हो रहा है। इसके कुछ दिनों बाद ही देश में लोकसभा के चुनाव होना है। लिहाजा पार्टी अब ऐसे हर सदस्यों को लोकसभा चुनाव में उतारने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कविता पाटीदार मध्यप्रदेश से फिलहाल राज्यसभा सदस्य हैं। गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से पिछली बार 2019 में चुनाव हारने वाले सिंधिया फिर इस सीट से लोकसभा जाना चाते हैंं। उन्हें केपी सिंह यादव ने भाजपा के ही टिकट पर चुनाव लड़कर हराया था। सिंधिया अब क्योंकि बीजेपी में शामिल हो चुके हैं लिहाजा वे इस सीट पर फिर से मैदान में उतर सकते हैं। इस क्षेत्र में लगातार वे प्रवास कर चुनावी तैयारियां भी करते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि ग्वालियर से भी चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं। लेकिन पार्टी वहां से जयभान सिंह पवैया को लोकसभा चुनाव लड़वाकर राजनीति की मुख्यधारा में लाना चाहती है। पवैया साल 2018 में विधानसभा चुनाव हार गए थे।