भोपाल से दिल्ली और दिल्ली से भोपाल तक मंथन के बाद आखरि का मध्य प्रदेश को नया मुख्यमंत्री मिल गया। भोपाल में बीजेपी विधायक दल की बैठक के बाद डॉ.मोहन यादव के नाम पर सहमति बन गई है। वहीं दो डिप्टी सीएम भी बनाए गए हैं। मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं। वे ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह चौहान ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा था। जिसका दूसरे सभी विधायकों ने समर्थन किया। अब 13 दिसंबर को नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह होगा।
- डॉ.मोहन यादव एमपी के नए सीएम
- ओबीसी चेहरा 2024 की तैयारी
- बीजेपी विधायक दल की बैठक लिया फैसला
- उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं डॉ.मोहन यादव
- शिवराज सरकार में रह चुके हैं उच्च शिक्षा मंत्री
- 2013 में पहली बार विधायक चुने गए थे
- नरेंद्र सिंह तोमर मप्र विधानसभा के स्पीकर
- जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल डिप्टी सीएम होंगे
- 2013 से लगातार विधायक हैं डॉ.मोहन यादव
ओबीसी के बदले ओबीसी चेहरा
बीजेपी ने लंबे मंथन के बाद आखिरकार एमपी के सीएम पद का ऐलान कर दिया है। जिसमें उज्जैन के मोहन यादव को सीएम बनाया गया है। मोहन यादव मध्यप्रेदश बीजेपी विधायक दल के नेता चुने गए हैं। डॉ.मोहन यादव अब मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे। डॉ.मोहन यादव महाकाल की नगरी उज्जैन दक्षिण से तीसरी बार के विधायक है। मोहन यादव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और संघ से जुड़े रहे हैं। वे शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। मोहन यादव को मध्यप्रदेश की कमान देना मतलब शिवराज ओबीसी चेहरे को हटाने के बाद पार्टी ने फिर एक ओबीसी चेहरे को ही कमान सौंपी है। दरअसल बीजेपी की नजर 2024 पर है। मोहन यादव के रुप में बीजेपी ने यूपी-बिहार को संदेश देने का काम किया है। मोहन यादव ओबीसी समाज से हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में यादव की राजनीति का खासा असर है। इसे ध्यान में रखते हुए बीजेपी आलाकमान ने मोहन यादव को सीएम बनाकर लंबी राजनीतिक लकीर खींचने की कोशिश है। बीजेपी को उम्मीद है कि मोहन यादव का चेहरा 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और बिहार में खासा असर डाल सकता है। मोहन यादव को सीएम बनाकर 2024 के लिए उत्तर के दो बड़े राज्यों को संदेश दिया है। जहां लोकसभा की 120 सीटें हैं और यादव ओबीसी में यादव वोटर्स एक निर्णायक वोट बैंक है।
नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा अध्यक्ष
दिमनी से चुनाव जीतने वाले नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा अध्यक्ष होंगे। जबकि राजेंद्र शुक्ल और जगदीश देवड़ा एमपी में डिप्टी सीएम होंगे। बीजेपी ने मुख्यमंत्री के तौर पर डॉ. मोहन यादव के नाम का ऐलान करते हुए उन्हें जिम्मेदार दी है। वे मध्य प्रदेश के 29वें मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। मुख्यमंत्री के नाम को लेकर 3 दिसंबर के बाद से बीजेपी में गहन मंथन चला। दिल्ली में बीजेपी के सभी दिग्गजों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी के आवास पर तीन दिन तक मंथन किया गया। फिर मुख्यमंत्री के चयन के लिए हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम गठित की गई, यह टीम भोपाल भेजी गई। जिसने अपना काम पूरा किया और डॉ.मोहन यादव मप्र के 29वें मुख्यमंत्री बन गए।
16 साल सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान
शिवराज सिंह चौहान 16 साल से अधिक समय तक एमपी के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 2023 में विधानसभा चुनावों के लिए राज्य में बीजेपी के अभियान का नेतृत्व भी किया था। शिवराज की ‘लाड़ली बहना’ योजना को हाल के चुनावों में गेम-चेंजर माना गया। मध्यप्रदेश में बीजेपी की जीत के पीछे एक प्रमुख कारण माना गया। केन्द्रीय पर्यवेक्षकों ने सभी 163 विधायकों से वन टू वन चर्चा के बाद नाम का एलान किया। पूरी रायशुमारी के बाद सीएम पद के लिए डॉ.मोहन यादव के नाम की घोषणा कर गयी है। लंबे समय मंथन के बाद बीजेपी ने मध्य प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के नाम को तय किया।
क्या लोकसभा चुनाव लड़ेंगे शिवराज
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद नए सीएम के रुप में मोहन यादव जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। पूर्व सीएम शिवराज अब हारी सीटों पर विशेषकर छिंदवाड़ा जिले में सक्रिय होंगे।। उनका संकल्प है कि लोकसभा चुनाव में मप्र की सभी 29 में से 29 सीटें इस बार पीएम मोदी को उपहार करना है। लेकिन इस संकल्प में छिंदवाड़ा सीट बड़ा रोड़ा है। ऐसे में ये सियासी चर्चा हैं कि शिवराज सिंह चौहान लोकसभा चुनाव में उतरकर छिंदवाड़ा में कमलनाथ को सीधी चुनौती देते नजर आएंगे। छिंदवाड़ा का बड़ा रोड़ा दूर करने के लिए शिवराज यहां से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। दरअसल विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बंपर जीत मिली है। मध्यप्रदेश के 19 जिलों में कांग्रेस का सफाया हो गया। लेकिन छिंदवाड़ा में हार की कसक के बीच भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटेगी। बता दे 29 कमल की माला में छिंदवाड़ा सीट ही सबसे बड़ा रोड़ा है। राजनीतिक विशेषज्ञों भी मानना है कि कमलनाथ को सबसे बड़ी चुनौती उनके गढ़ में कोई दे सकता है। बता दें कि विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने अलग-अलग क्षेत्रों का दौर रहे हैं
महाकाल की नगरी में कैसे रात गुजारेंगे अब मोहन यादव
राजनीति के कई किस्से आपने सुने होंगे। जिनमें बड़े-बड़े नेता किसी ऐसी चीज को फॉलो करते हैं। जिसे आम भाषा में अंधविश्वास कहा जाता है। आज भी देशभर में कई ऐसी जगह हैं। जहां नेता जाने या रात बिताने से घबराते हैं। अज्ञात भय के चलते रात में नहीं ठहरते। पूर्व से यह माना जाता है कि ऐसा करने पर महाकाल की नगरी में रात बिताने वाले की सत्ता चली जाती है। ऐसी ही एक जगह मध्य प्रदेश में उज्जैन भी इसमें शामिल है। जहां कोई मुख्यमंत्री या फिर मंत्री रात गुजारने से घबराते हैं। दरअसल माना जाता है कि जो भी मंत्री यहां रात में ठहरता है, वो सत्ता में वापसी नहीं कर पाता। महाकाल की नगरी उज्जैन में यूं तो कई मंत्री और मुख्यमंत्री दौरा करते आए हैं। लेकिन वो यहां रुकने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। बता दें डॉ.मोहन यादव महाकाल की नगरी उज्जैन के दक्षिण विधानसभा सीट से चुन कर आते हैं। उनका पैतृक घर उज्जैन में ही है। अब चूंकी डॉ. मोहन यादव मध्यप्रदेश के नए सीएम बनाए गए हैं, ऐसे में यह जिज्ञासा और सवाल सभी के मन में कौंध रहा है कि क्या डॉ. मोहन यादव उज्जैन में रात बिताने का जोखिम उठायेंगे। इसका कारण भगवान महाकाल को ही माना जाता है। कहा जाता है कि महाकाल आज भी उज्जैन के राजा हैं। ऐसे में उनकी नगरी उज्जैन में किसी दूसरे राजा का ठहरना उचित नहीं माना जाता है। ऐसा करने पर उसे सजा भुगतनी पड़ सकती है। पौराणिक कथाओं में भी इसका उदाहरण मिलता है।