लोकसभा चुनाव से पहले कई चुनौती और मतभेद का सामना कर रहे इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। एमपी की 29 लोकसभा सीटों की बात करें तो गठबंधन के प्रमुख दल कांग्रेस ने राज्य की सभी 29 सीटों पर अपनी मजबूती का दावा कर दिया है। दूसरे घटक दल आम आदमी पार्टी भी यहां विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत आजमाने की तैयारी में है। हालांकि कांग्रेस के इस दावे में कितनी सच्चाई है यह 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में साबित हो चुका है। पिछले 2019 के चुनाव में कांग्रेस एक सीट और 2014 के चुनाव में राज्य की 29 में से दो सीट ही जीत सकी थी।
- MP में क्या गुल खिलाएगा इंडिया गठबंधन
- MP में खुलती इंडिया गठबंधन की गांठ
- मप्र में हैं लोकसभा की 29 सीटें
- 2019 में कांग्रेस एक सीट छिंदवाड़ा जीती थी
- 2014 में कांग्रेस को मिली थी दो सीट पर जीत
ऐसे में मध्यप्रदेश के उन नेताओं की धड़कनें बढ़ गई हैं जो संसद में बैठने ख्वाब संजोए हुए हैं। दरअसल करीब पांच माह बाद लोकसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी को रोकने के लिए बसपा को छोड़ तमाम दल एकजुट हो गए हैं। एमपी की सियासत में यह गठबंधन कई सियासतदारों की मुश्किलें खड़ी कर सकता है। दरअसल इंडिया गठबंधन में मोदी को रोकने के लिए संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
AAP ही नहीं सपा भी उतारेगी प्रत्याशी!
दूसरी ओर गठबंधन के पहले आम आदमी पार्टी ऐलान कर चुकी है कि विधानसभा के साथ लोकसभा के चुनावी मैदान में उतरेगी। तो सपा भी मध्यप्रदेश के लोकसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारती रही है। ऐसे में गठबंधन की गांठ एमपी में खुलती नजर आ रही है। विवाद की जड़ का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कांग्रेस की ओर से साफ कर दिया गया है कि गठबंधन के अन्य सिसायी घटकों में मध्यप्रदेश में कांग्रेस सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में है। लिहाजा राज्य की सभी 29 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी।
BJP ने ली चुटकी, अंधकार में गठबंधन का भविष्य
बीजेपी को ऐसे में इंडिया गठबंधन पर चुटकी लेने का मौका मिल गया है। बीजेपी की ओर से कहा गया है कि इंडिया गठबंधन का भविष्य ही पूरी तरह से अंधकार में है। विवादों के इस गठबंधन से पहले ही कई दल किनारा करने की तैयारी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस हो या गठबंधन का कोई दूसरा प्रत्याशी मुहर तो मोदी के नाम पर जनता लगाएगी।
कांग्रेस के दावे में कितना दम! क्योंकि एक सच्चाई यह भी है
मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से फिलहाल कांग्रेस के पास एक सीट है। पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने छिंदवाड़ा सीट पर ही जीत हासिल की थी। यहां से पूर्व सीएम और पीसीसी चीफ कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने चुनाव में जीत दर्ज की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना शिवपुरी सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी कांग्रेस में रहते हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि 2020 में वे कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। मौजूदा हालांत में सिंधिया केन्द्र में मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। 2014 में मोदी की आंधी के चलते मप्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, विवेक तन्खा अजय सिंह, मीनाक्षी नटराजन और कांतिलाल भूरिया जैसे दिग्गज पराजित हो गए। अधिकांश बीजेपी के प्रत्याशी एक लाख से लेकर 5 लाख मतों के अंतर से जीतने में सफलता हासिल की थी।
2014 में भी कांग्रेस को मिली थी 2 सीट
2019 से पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को खास कारनाम नहीं कर सकी थी। यहां बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल किये थे। उस समय बीजेपी ने राज्य की 29 में से 27 सीटों को जीतकर कब्जा किया था। उस समय कांग्रेस को लगभग 35 फीसदी वोट ही मिले थे। कांग्रेस अपने गढ़ छिंदवाड़ा और गुना में ही जीत हासिल कर सकी थी।