राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब 25 नवंबर को होने वाले मतदान की तैयारी में सियासी दल जुटे हैं। रेतीले इस राज्य के राजनीतिक फलक पर भले ही कई राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दे हावी रहे हों, लेकिन राज्य में जिन तीन प्रमुख चेहरों की चर्चा गांव ढाणियों से लेकर शहर और कस्बे तक चर्चा हो रही है उससे यह तय है कि पीएम नरेन्द्र मोदी, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे हैं, जिनके इर्दगिर्द चुनावी सियासत घुमती नजर आ रही है।
- कांग्रेस को मजबूत करती गहलोत सरकार की योजनाएं
- योजनाओं की बदौलत कांग्रेस चुनाव में मजबूत नजर आ रही
- भाजपा को भारी पड़ सकता है वसुंधरा राजे का चेहरा घोषित न करना
- प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा भाजपा की बड़ी ताकत
- इसके साथ वसुंधरा का चेहरा भी जुड़तरे तो भाजपा को मिलता लाभ
- वैसे गहलोत के लिए परेशानी बन सकता है पेपर लीक और भ्रष्टाचार का मुद्दा
पीएम की लोकप्रियता इस चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी ताकत हैं तो सीएम अशोक गहलोत अपनी योजनाओं और गारंटी के दम पर व्यापक जनमानस तक पहुंच स्थापित करते नजर आ रहे हैं। सीएम पद के लिए बीजेपी ने वसुंधरा राजे का नाम भले ही अब तक घोषित ना किया हो, लेकिन कई मतदाताओं का ऐसा मानना है कि वसुंधरा का चेहरा सामने होता तो संभव है कि इस बार विधानसभा चुनाव की तस्वीर बिल्कुल साफ होती। अजमेर के रोहताश जैन कहते हैं कि जैन समाज बीजेपी का परंपरागत रूप से वोटर हैं। उनका कहना है कि वे पीएम मोदी को मजबूती देने के लिए बीजेपी को वोट देंगे। उनका यह भी कहना है कि यह सच है कि प्रदेश का चुनाव है, लेकिन यह भी जरूरी है कि राजस्थान का तेजी से विकास हो। केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार है और अगर राजस्थान में भी बीजेपी की सरकार बनती है तो यहां तेज गति से विकास के काम होंगे। उनके लिए मोदी ‘फैक्टर’ सबसे ही बड़ा है। अजमेर उत्तर और अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे कई मतदाता हैं जिनका यह कहना था कि वे लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग प्राथमिकताओं के आधार पर मतदान करेंगे। छोटे किराना कारोबारी दिनेश सिरोही का कहना है वे ऐसे कई लोगों को जानते हैं जिन्हें गहलोत सरकार की स्वास्थ्य बीमा योजना यानी चिरंजीवी से लाभ मिला है। पांच सौ रुपये में रसोई गैस सिलेंडर का फायदा तो उन्हें खुद भी मिल रहा है। यही वजह है कि इस सब बातों पर मंथन के बाद वे इस बार कांग्रेस का साथ देंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव जब होंगे तो उस समय उनके विचार अलग हो सकते हैं।
तीन बार गहलोत दो बार वसुंधरा रहीं सीएम
इधर जाटलैंड के रुप में पहचाने जाने वाले नागौर की चुनावी तस्वीर भी कम रोचक नहीं है। उसने में पीएम मोदी की लोकप्रियता और सीएम गहलोत के कामों की गूंज यहां सुनाई दे रही है। इसके साथ ही कई लोग ऐसे थी थे जिन्होंनें वसुंधरा राजे को लेकर सकारात्मक राय जाहिर की। नागौर के चौधरी सुखेन्द्र सिंह की माने तो चुनाव में कुछ दिन बचे है लेकिन अभी तक उन्हें यही समझ में आया है कि यहां के रहवासी गहलोत की सरकार में चल रही योजनाओं से बहुत खुश हैं। उन्हें लाभ मिल रहा है। लेकिन हो सकता है कि लोकसभा चुनाव में नागौर के बहुत से वोटर्स मोदी जी को वोट दें। फिलहाल तो अभी ये लोग गहलोत जी के कामों की चर्चा कर रहे हैं। हालांकि उनका यह भी कहना है कि अगर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के नाम को बीजेपी आगे कर देतीे तो तस्वीर साफ हो जाती। ऐेसे में कहा जा सकता है कि राजस्थान के इस चुनाव में जहां सीएम अशोक गहलोत और पूर्व सीएम वसुंधरा राजस्थान की सियास के दो सबसे बड़े चेहरे हैंख् तो वहीं पीएम मोदी का चेहरा भी यहां पसंद किया जाता है।
तीन बार गहलोत दो बार वसुंधरा रहीं सीएम
बता दें अशेाक गहलोत तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे 1998 से 2003 सीएम रहे। इसके बाद 2008 से 2013 तक भी सीएम की कुर्सी संभाली और 2018 के बाद से अब तक भी वे ही मुख्यमंत्री रहे। उधर वसुंधरा राजे की बात करें तो 2003 से 2008 और इसके बाद 2013 से 2018 तक राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। राजस्थान में पिछले 25 साल से राजनीति इन्हीं दो नेताओं के आसपास घूमती नजर आ रही है।