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Home शहर और राज्य दिल्ली

महिला आरक्षण बिल: कानूनी मान्यता मिलने के बाद इस तरह बदलेगी तस्वीर और तकदीर

DigitalDesk by DigitalDesk
September 19, 2023
in दिल्ली, मुख्य समाचार, राजनीति, स्पेशल
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Women Reservation Bill
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में महिला आरक्षण बिल मंजूरी दी गई। बताया जाता है कि अब महिला आरक्षण बिल को संसद के विशेष सत्र के दौरान पेश किया जाएगा।

  • 27 साल से लोकसभा में लंबित था महिला आरक्षण बिल
  • आधी आबादी को मोदी सरकार का तोहफा
  • आधी आबादी को केन्द्र की सौगात
  • आधी आबादी को अब 33 फीसदी आरक्षण!
  • पंचायत से लेकर लोकसभा तक महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण
  • बिल पारित होने के बाद बदल जाएगी देश की सियासत
  • लोकसभा में चुनकर आईं 78 महिला सदस्य
  • फिलहाल हैं राज्यसभा में मात्र 32 महिला सांसद
  • राज्य विधानसभाओं में 10 फीसदी महिलाएं

महिला आरक्षण बिल के संसद से पास हो जाने के बाद देश में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण रिजर्व हो जाएगा। इसके बाद पंचायत चुनाव से लेकर राज्यों की विधानसभाओं, विधान परिषदों और देश की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। बिल को कानूनी मान्यता मिलने के बाद देश की सियासत से लेकर सरकारी नौकरी निजी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर महिलाओं की भागेदारी बढ़ेगी। वर्तमान लोकसभा में, 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 का 15 प्रतिशत से भी कम है। वहीं राज्यसभा में मात्र 32 महिला सांसद हैं, जोकि कुल राज्यसभा सांसदों का 11 प्रतिशत है। इसके अलावा अगर राज्यों की बात करें तो मध्यप्रदेश गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना सहित कई राज्य विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से भी कम है।

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आखिर क्या है महिला आरक्षण विधेयक ?

देश में पिछले कई दिनों से ये चर्चा हो रही थी महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट रिजर्व रखने का प्रावधान है। लेकिन करीब पिछले 27 साल से से महिला आरक्षण विधेयक लंबित था। जिस पर अब नए सिरे से जोर दिए जाने के बीच आंकड़ों से नई जानकारी सामने आ रही है। आंकड़े बताते हैं कि लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 प्रतिशत से कम है। वहीं कई राज्य विधानसभाओं में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व दस फीसदी से भी कम है। बता दें सबसे पहले यह महिला आरक्षण बिल 12 सितंबर 1996 को संसद में पेश किया गया था। इस विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया। आंकड़ों पर गौर करें तो इस समय में लोकसभा में 78 महिला सांसद हैं। यहां कुल सांसदों की महज 14 प्रतिशत ही है। राज्यसभा में भी महज 32 महिला सदस्य हैं। यह संख्या कुल राज्यसभा सांसदों का 11 प्रतिशत ही होती है।

किसने किया बिल का समर्थन

केन्द्रीय कैबिनेट से मंजूरी के बाद संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पेश किये जाने की चर्चा है। वैसे विशेष सत्र के शुरू होने से पहले ही रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। जिसके बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सभी विपक्षी दलों ने इसी संसद सत्र में महिला आरक्षण बिल पारित करने की मांग की थी। बीजेपी के सहयोगी और एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा हम सरकार से अपील करते हैं कि वे इसी संसद सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करे। वहीं बीजद और बीआरएस सहित कई क्षेत्रीय दलों की ओर से भी महिला आरक्षण बिल पेश करने की मांग की थी। इस दौरान बीजेडी सांसद पिनाकी मिश्रा की ओर से कहा गया कि नए संसद भवन से एक नए युग की शुरुआत हो रही है। ऐसे में महिला आरक्षण विधेयक पारित होना चाहिए। चर्चा थी कि इस बिल का सभी दल समर्थन करेंगे।

मनमोहन सरकार के समय पेश किया गया था बिल

संसद में महिला आरक्षण बिल आखरी बाद 2010 में पेश किया गया था। उस समय राज्यसभा ने हंगामे के बीच विधेयक को पारित किया गया था। इस हंगामे के बीच मार्शलों ने कुछ सांसदों को बाहर भी निकाला था। इन सांसदों ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीट आरक्षित करने के फैसले का जोरदार विरोध किया था। ऐसे में तब यह बिल लोकसभा में पारित नहीं हो सका था।

इसलिए है महिला आरक्षण बिल की आवश्यकता

देश में पंचायत चुनाव से लेकर राज्यों की विधानसभाओं के साथ विधान परिषदों और देश की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ने वाला है। महिला आरक्षण बिल को कानूनी मान्यता मिलते ही देश की सियासत से लेकर सरकारी नौकरी निजी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ेगी। मौजूदा दौर में लोकसभा में 78 महिला सदस्य चुन कर आई हैं। यह कुल सांसदों की संख्या 543 का 15 फीसदी से भी कम है। उधर राज्यसभा में भी महज 32 महिला सांसद हैं। जोकि कुल राज्यसभा सांसदों का केवल 11 प्रतिशत है। हम अगर राज्यों की बात करें तो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के साथ असम, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, केरल, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा,तमिलनाडु, सिक्किम, तेलंगाना सहित ऐसे कई राज्य हैं जहां विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व महज 10 प्रतिशत से भी कम है। दिसंबर 2022 को जारी किये गये सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो राजस्थान, बिहार, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश,पंजाब और दिल्ली में महज 10 से 12 प्रतिशत महिला विधायक हैं।

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Tags: Prime Minister Narendra ModiSpecial session of Parliamentwomen reservation bill
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