मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव अब करीब आ चुके हैं। बीजेपी के साथ सपा और बसपा की ओर से अपने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची भी जारी कर दी गई है। प्रदेश में विधानसभा की कई ऐसी सीट हैं जो बीजेपी का गढ़ कही जाती हैं। उन्हीं में शामिल है सागर जिले की रहली विधानसभा सीट। रहली को कभी कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था। लेकिन साल 1985 के चुनाव में गोपाल भार्गव की एंट्री रहली में हुई, इसके बाद यह सीट बीजेपी का अभेद किला बन गई। हालात ये हैं कि कभी राजीव गांधी भी कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा की थी, लेकिन गढ़ में कांग्रेस सेंध नहीं लगा पाई। गोपाल भार्गव के खिलाफ हर बार कांग्रेस कभी ब्राम्हण तो कभी कुर्मी वर्ग के प्रत्याशी को मैदान में उतारती रही, लेकिन भार्गव की जीत का आंकड़ा हर बार बढ़ता गया।
- मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र रोचक होंगे इस बार चुनाव
- रहली से मैदान में होगा पं.गोपाल भार्गव
- सागर जिले की अहम सीट है रहली विधानसभा सीट
- 1985 में पहले बार रहली से चुनाव लड़े थी गोपाल भार्गव
- 1985 के बाद कभी चुनाव नहीं हारे गोपाल भार्गव
- यहां से 8 बार से विधायक चुने गए गोपाल भार्गव
- अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं गोपाल भार्गव
- इस बार कांग्रेस किस नेता पर लगाएगी दांव
1985 में आखिरी बार यहां से जीती थी कांग्रेस
साल 1985 के पहले रहली विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा करता था। यह सीट उसका गढ़ मानी जाती थी। 1980 में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी यहां आखरी चुनाव महादेव प्रसाद ने जीता था। वे कांग्रेस के आखिरी विजयी प्रत्याशी थे। इसके बाद 1985 के विधानसभा चुनाव में यहां की तस्वीर बदली और बीजेपी के टिकट पर गोपाल भार्गव ने जीत हासिल की। इसके बाद बदलते समय के साथ रहली सीट बीजेपी का गढ़ बन गई।
राजीव गांधी का प्रचार भी नहीं काया कांग्रेस के काम
बीजेपी का गढ़ बनी रहली विधानसभा से गोपाल भार्गव पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में कम अंतर से जीते थे। एक समय ऐसा भी था जब 1985 के चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने रहली में सभा की थी, लेकिन गोपाल भार्गव को कांग्रेस परास्त नहीं कर सकी। अब चुनाव से पहले सागर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र संत रविदास के एक भव्य मंदिर का शिलान्यास किया है। रहली विधानसभा में 38 साल बाद देश के ककसी प्रधानमंत्री ने जनसभा को संबोधित किया है। इससे पहले 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी रहली विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन उनकी सभा का भी भार्गव की जीत पर असर नहीं पड़ा।
जनता को एटीएम समझते हैं मंत्री भार्गव
मंत्री गोपाल भार्गव ने एक सभा के दौरान खुले तौर पर यह कहा था कि उनके क्षेत्र की जनता का आशीर्वाद बैंक के एटीएम की तरह है। जब जरुरत पड़ती है मिल जाता है। मंत्री ने यह भी कि उनकी यही तमन्ना है कि रहली विधानसभा क्षेत्र के निर्माण कार्य इस प्रकार से हो कि उनके जाने के बाद भी क्षेत्रवासी कहे विधायक और मंत्री रहते गोपाल भार्गव ने यह निर्माण कार्य कराया था। गोपाल भार्गव ने कहा रहली विधानसभा क्षेत्र के लोग उनके बैंक एटीएम हैं। जिनके आशीर्वाद रूपी एटीएम का उपयोग वे करते हैंं। उन्होंने कहा कि जनता का आशीर्वाद उनके कर्मों पर आधारित है। मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के रूप में कार्य कर रही है। बता दें गोपाल भार्गव ने महज रहली विधानसभा क्षेत्र में ही अब करीब 21 हजार से अधिक कन्याओं के विवाह सामूहिक कन्यादान कार्यक्रम के जरिए कर चुके हैं। मंत्री भार्गव ने ही किसी जनप्रतिनिधि के रूप में सबसे पहले इस तरह के आयोजनों की शुरुआत की थी। इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार और दूसरे राज्यों की सरकारों ने सामूहिक विवाह योजना की शुरुआत की। रहली क्षेत्र को सबसे विकसित ही नहीं समृद्ध क्षेत्रों में भी गिना जाता है।
गौर के बाद भार्गव के नाम बनेगा रिकॉर्ड
मप्र की रहली विधानसभा सीट को बीजेपी का गढ़ बनाने में गोपाल भार्गव की मेेहनत मानी जाती है। यहां से एक बार फिर मंत्री गोपाल भार्गव चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। गोपाल भार्गव इस सीट पर साल 1985 से लगातार हर बार चुनाव जीतते आ रहे हैं। मध्यप्रदेश में विधानसभा के सबसे अधिक चुनाव जीतने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के बाद मंत्री गोपाल भार्गव का नाम है। वे ही ऐसे नेता है जो लगातार 8 बार चुनाव जीत चुके हैं। इस चुनाव में भी उनकी जीत होती है तो गोपाल भार्गव की यह लगातार 9वीं जीत होगी। भार्गव के बढ़ कद और प्रभाव के आगे रहली में कांग्रेस हमेशा इस सीट पर महज प्रतीकात्मक रूप से ही अपना प्रत्याशी मैदान में उतारी आई है। गोवाल भार्गव ने 2013 के चुनाव में कांग्रेस के बृजबिहारी पटैरिया को करीब 51 हजार से अधिक मतों से हराया था। बता दें गोपाल भार्गव पिछले 15 साल से मप्र सरकार में मंत्री हैं। वे जिस भी विभाग के भी मंत्री रहे, उससे जुड़े विकास कार्य इस इलाके में खूब हुए। हालांकि इस बार कांग्रेस बीजेपी के इस गढ़ भेदना चाहती है। हाल ही में यहां पिछड़ा वर्ग सम्मेलन कर कांग्रेस ने एकता दिखाने की कोशिश भी की है। रहली सीट के जातिगत समीकरण पर गौर करें तो यहां ब्राह्मण के बाद कुर्मी समुदाय का वोट बैंक माना जाता है। यह दोनों वर्ग हर चुनाव में हार जीत में काफी निर्णायक होते है।इसके बाद ओबीसी और अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं की भी यहां काफी संख्या है।
2018 में कम हुई भार्गव की लीड
मध्यप्रदेश में बीजेपी अगर अपना 70 प्लस वाला फार्मूले पर नहीं चलती है तो इस बार भी गोपाल भार्गव रहली सीट से चुनाव मैदान में नजर आएंगे। इसका जिक्र वे यहां एक जनसभा के दौरान कर भी चुके हैं। चुनावी इतिहास बताता है कि यहां हरबार चुनाव में बीजेपी की लीड बढ़ती गई है। हालांकि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पहली बार गोपाल भार्गव की लीड बढ़ने के बजाय कम हुई थी। वे महज 22688 वोट से ही जीत दर्ज कर सके, जबकि पिछले चुनाव के दौरान दावा था कि भार्गव सवा लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज करेंगे।