भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने अपने ऐतिहासिक मिशन चंद्रयान-3 को लेकर नवीनतम अपडेट साझा किया है क्योंकि अंतरिक्ष यान धीरे-धीरे चंद्रमा के करीब पहुंच रहा है। चंद्रयान-3 आने वाली 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में अपना पहला सॉफ्ट-लैंडिंग प्रयास करेगा।
- चंद्रयान-3 कीकम हुई चंद्रमा से दूरी
- डीबूस्टिंग के बाद घटाकर 113 किमी x 157 किमी
- 30 किमी ऊंचाई से शुरु होगी लैंडिंग की प्रक्रिया
- गति 2 मीटर प्रति सेकंड होने पर होगी लैंडिंग
फिलहाल चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल, जिसमें विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल हैं ने सफल डीबूस्टिंग के बाद अपनी कक्षा को घटाकर 113 किमी x 157 किमी कर दिया है। इसका मतलब है कि विक्रम लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 113 किमी और अधिकतम दूरी 157 किमी बची है।
अगली डीबूस्टिंग 20 अगस्त को
अगला डीबूस्टिंग ऑपरेशन 20 अगस्त को दोपहर 2 बजे के आसपास निर्धारित किया गया है। चंद्रयान-3 का विक्रम डीबूस्टिंग के जरिए लैंडर को चंद्रमा के करीब लाएगा। डीबूस्टिंग का मतलब अंतरिक्ष यान की गति को धीमा करना है। इस ऑपरेशन के बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 30 किमी और अधिकतम 100 किमी होने की उम्मीद है।
23 अगस्त को होगी सॉफ्ट लैंडिंग
इसरो ने 18 अगस्त को डीबूस्टिंग के जरिए लैंडर की कक्षा कम कर दी थी। डीबूस्टिंग में, थ्रस्टर्स को वाहन की यात्रा दिशा के विपरीत दिशा में फायर किया जाता है। लैंडिंग की प्रक्रिया 30 किलोमीटर की ऊंचाई से शुरू होगी। लैंडर की गति को 1680 मीटर प्रति सेकंड से घटाकर 2 मीटर प्रति सेकंड करना होगा।
चांद के करीब इस तरह पहुंच चंद्रयान-3
इससे की ओर से ट्वीट कर पहले बताया गया था कि चंद्रमा की 153 किलोमीटर x 163 किमी की कक्षा में चंद्रयान-3 स्थापित हो गया है। जिसका पहले से अनुमान लगाया गया था। इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की यह प्रक्रिया पूरी हो गई। बता दें चंद्रयान-3 ने पिछले माह 14 जुलाई को लॉन्चिंग के बाद के बाद 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। तब से इसने 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश किया। इस तरह ये चांद के और नजदीक पहुंचता गया। इसरो की ओर से लैंडिंग को लेकर जानकारी देते हुए कहा गया था कि लैंडिंग का सबसे जरूरी हिस्सा लैंडर के वेग को 30 किमी की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लाने की प्रक्रिया है। व्हीकल को हॉरिजॉन्टल से वर्टिकल डायरेक्शन में पहुंचाने की क्षमता वो प्रक्रिया है। जहां सभी को अपनी काबिलियत दिखानी होगी।