सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका यानी पीआईएल पर विचार करने से इनकार कर दिया है जिसमें 26 राजनीतिक दलों को विपक्षी गठबंधन भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन के संक्षिप्त रूप में “INDIA” का उपयोग करने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।
- सुप्रीम कोर्ट किया याचिका पर विचार करने से इनकार
- 26 राजनीतिक दलों के गठबंधन है इंडिया
- ‘I.N.D.I.A’ शब्द का उपयोग करने से रोकने की मांग
- जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने की टिप्पणी
- ‘याचिका प्रचार पाने के लिए दायर की गई है’
- आप कौन हैं? रुचि किसमें है
- चुनाव मानदंडों का उल्लंघन होता है, तो चुनाव आयोग जाएं
- इस तरह की कार्रवाई चुनाव आयोग में ही हो सकती है
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली एससी की एक पीठ ने रोहित खीरीवाल द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
प्रचार हित याचिका
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा “आप इसे दायर करने वाले कौन होते हैं? यह पूरी तरह से प्रचार हित याचिका लगती है और जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। बेंच ने आगे कहा “अगर आपको कोई शिकायत है तो आपको उचित कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग से संपर्क करना चाहिए। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड धवल उनियाल ने शीर्ष अदालत से मामले की योग्यता के आधार पर विचार करने को कहा। ये प्रतिवादी राजनीतिक दल ‘I.N.D.I.A’ का उपयोग क्यों कर रहे हैं, जो भारत के संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि चुनाव आयोग को विपक्षी गठबंधन द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे नाम को हटाने का निर्देश दिया जाएं। उनियाल ने शीर्ष न्यायालय को बताया। उनियाल ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट ने इसी तरह के मामले में नोटिस जारी किया था। इसके मामले में न्यायमूर्ति कौल ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को चेतावनी दी कि या तो वे जनहित याचिका वापस ले लें या अपनी बर्खास्तगी का सामना करें। न्यायाधीश ने कहा या तो आप इसे स्वेच्छा से वापस ले सकते हैं, या हम इसे खारिज कर देंगे।
चुनाव आयोग जाने दी नसीहत
सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति कौल ने टिप्पणी करते हुए कहा यह दुखद है कि लोग इस पर समय बर्बाद करते हैं। अदालत ने कहा कि वह याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं है। इसके अलावा इसमें हस्तक्षेप करने की कोई वजह भी नहीं दिखती। याचिकाकर्ता ने बताया है कि भारत के चुनाव आयोग के समक्ष आवेदन दायर किए गए हैं। ऐसे में याचिकाकर्ता की तरफ से केस वापस लेने की मांग के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया है। बता दें याचिका में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को एक विनियमन पारित करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। जिससे सभी मीडिया एजेंसियां विपक्षी गठबंधन के नाम के रूप में इंडिया नाम का उपयोग न कर सकें।