बिहार की राजनीति कई रंगों में रंगी दिखाई दे रही है। यहां गठबधंन है तो पारिवारिक बंधन की चौपाल भी लगी है। विरोध और नाराजगी की हवाएं हैं तो जोड़तोड़ का दिआ भी जल रहा है। अंजाम क्या होगा कोई नहीं जानता है। लेकिन जिस तरह से लोकजन शक्ति पार्टी रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान बिहार के लिए कुछ करने का संकल्प लेते दिखाई दे रहे हैं तो उनके चाचा पशुपतिनाथ पारस उन्हे सियासी पंखा डोल रहें हैं। आईए जानने की कोशिश करते हैँ कि आखिर चाचा भतीजे के बीच चल रही सियासी जंग की मूल वजह क्या है?
- चाचा भतीजे के बीच चल रही सियासी जंग की मूल वजह क्या है
- चिराग पासवान ने किया एनडीए के साथ गठबंधन
- क्यों कि नड्डा और शाह की सराहना
चिराग ने नीतीश पर साधा निशाना
लोकजन शक्ति पार्टी रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने एनडीए के साथ गठबंधन किया है। इससे वे काफी उत्साहित हैं और उनका दावा है कि इस बार बिहार की पूरी 40-40 सीटें जीतेंगे। नई दिल्ली से पटना पहुंचे चिराग ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि राज्य में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री है। बिहार की जनता ने उन्हे अपने राज्य की बागडोर सौंपी है,लेकिन उन्हे चिंता विपक्ष को एकजुट करने की ज्यादा है। वे बिहार में कम दूसरे राज्यों ज्यादा दिखाई देते हैँ। इससे बिहार का भला होने वाला नहीं है।
एनडीए के प्रति दिखाई वफादारी
चिराग ने दावा करते हुए कहा कि जब हम एनडीए के साथ नहीं थे तब भी हमने किसी दूसरे के साथ हाथ मिलाना ठीक नहीं समझा। यहां तक की हमें कई तरह की सियासी चुनौतियों का सामना करना पड़ा फिर भी हम 2020 में अकेल चुनाव लड़े लेकिन किसी और हाथ हमने नहीं पकड़ा। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रिय गृहमंत्री अमित शाह की सराहना करते हुए कहा कि हमारी पार्टी को भाजपा ने सम्मान दिया है वो कहीं और नहीं मिल सकता है। उनसे जो भी बात हुई है वो उन्होंने पूरे ध्यान से सुना और हमारी सभी चिंताओं और आशंकाओं का निराकरण किया। ये सब सिर्फ काबिल और राष्ट्र से शुभचिंतक ही कर सकते हैं।
चाचा पर क्या बोले चिराग
विपरीत दिशा में चल रहे चिराग के चाचा पशुपतिनाथ पारस को लेकर किए गए एक सवाल के जवाब में चिराग पासवान ने कहा कि चाचा से कोई पारिवारिक विवाद नहीं है। बीते दो साल से मैंने उनके बारे में एक शब्द भी नहीं बोला है। हमारे लिए मुख्य रूप से बिहार है यहां का हमे विकास करना है। इसके लिए हम जी जान से काम करेंगे।