हिंदु पंचाग के पांचवे महीने सावन की शुरूआत हो गई है. यह माह शिवजी का प्रिय महीना माना जाता है. इस माह बड़ी संख्या में लोग शिवालयों में मनोकमानाओं की पूर्ति के लिए पूजा करने पहुंचते है. कहा जाता है कि सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती है और सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शिवलिंग की पूजा करते समय जल और बेलपत्र अर्पित किया जाता है, लेकिन क्या आपको इन्हें अर्पण करने की पीछे का कारण पता है. अगर नहीं तो चलिए आपको बताते हैं.
जल और बेलपत्र से क्यों की जाती है पूजा ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन माह में ही समुद्र मंथन के दौरान विष निकला था. जब इस विष को किसी ने भी पीने से मना कर दिया था तो शिवजी ने इसे अपने अंदर ग्रहण किया था. इसके बाद उन्हें कंठ में काफी जलन महसूस हुई थी , जिसे शांत करने के लिए देवताओं और दानवों ने भोलेनाथ और गंगाजाल से स्नान कराया था और उन्होंने बेलपत्र का भोग लगाया था. इसी कारण सावन के माह में भगवान शंकर को जल अर्पित किया जाता है और मनचाहा फल प्राप्त करने के लिए बेलपत्र से पूजा की जाती है.
बेलपत्र है महादेव के प्रिय
बेलपत्र भगवान शिव के बेहद प्रिय है. पुराणों में भी इनके महत्व के बारे में बताया गया है. मान्यताओं के अनुसार बेलपत्र के तीन पत्ते त्रिदेव को दर्शाते है और इसी से पूरे ब्रहाांड का निर्माण हुआ है. इसके बिना भगवान की पूजा अधूरी मानी जाती है. इसे चढ़ाने से भगवान शंकर को शांति मिलती है और भगवान प्रसन्न होते है. इसलिए आदिकाल से चाहे राक्षस, देवता या इंसान हो सभी शिवलिंग की पूजा करते समय उन्हें बेलपत्र अर्पण करते हैं.
बेलपत्र अर्पित करते समय ध्यान रखें ये बातें
1. शिवलिंग पर बेलपत्र हमेशा उल्टा करके अर्पित करना चाहिए.
2. एक बेलपत्र में हमेशा तीन पत्तियां होना चाहिए जिनमें कोई छेद न हो.
3. बेलपत्र चढ़ाने के पहले शिवलिंग पर जल अर्पित करें.
4.बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्या अंगुली से ही अर्पित करना चाहिए.
5.अष्टमी, नवमी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या और सोमवार के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।