भगवान शंकर के प्रिय माह सावन की शुरूआत हो गई है. इस बार सावन का महीना बेहद खास होने वाला है क्योंकि अधिकमास के कारण इस बार यह 59 दिनों का होगा. कल सावन का पहला सोमवार पड़ रहा है. इस दिन भगवान शंकर की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सोमवार का दिन चंद्र ग्रह का होता है और चंद्र ग्रह के नियंत्रक भगवान शिव होते है. ऐसे में इस दिन भगवान शिव की पूजा का महत्व और बढ़ जाता है.
खासतौर पर अगर आप स्वास्थ्य या विवाह से संबंधित कोई परेशानी का सामना कर रहे तो सोमवार के दिन विधिपूर्वक पूजा अर्चना करें.मान्यता है कि अगर आप सावन के सारे सोमवारों को विधिपूर्वक पूजा करें तो आपकी सारी परेशानियां दूर हो जाती है. सोमवार और भगवान शिव के इसी संबंध के कारण ही मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए सोलह सोमवारों का व्रत रखा था.
पूजा का महत्व
सावन सोमवार का व्रत खास तौर पर वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है. अगर कुंडली में शादी का योग नहीं बन रहा हो या आपकी शादी में कई अड़चने आ रही तो सावन सोमवार में भगवान शिव की पूजा करें. स्वास्थ्य और मानसिक समस्याओं के लिए भी सावन सोमवार की पूजा उत्तम मानी जाती है.
सावन के पहले सोमवार की पूजा विधि
सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और मंदिर जाएं . मंदिर में शिवलिंग पर जल अर्पित करे और बेल पत्र चढ़ाएं. जल अर्पित करने के बाद शिवलिंग के पास बैठकर 108 बार शिव मंत्र का जप करें. जप करने के बाद भगवान शिव की आरती करें और यदि उपवास कर रहे है तो दिन में सिर्फ एक बार फलाहार करें. सायंकाल में भी भगवान शिव के मंत्रों का फिर जाप करें और उनकी आरती करें.
पूजा करने का शुभ मुहुर्त
सावन सोमवार के दिन पंचक लगने वाला है. हालांकि पंचक लगने से पूजा अर्चना पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि ज्योतिष के अनुसार सावन में कभी भी पंचक या भद्रा काल लगता है, उससे पूजा पाठ करने पर किसी तरह की रोक नहीं लगती है. इसके पीछे भी एक बड़ा कारण है. भगवान शिव देवों के देव है, सारे नक्षत्र और ग्रह उनके अधीन है. इस कारण उनकी पूजा में किसी तरह के नक्षत्र और ग्रह का खास असर नहीं पड़ता है