भारत की धाक दुनिया में सुनाई देने लगी है। हर एक देश भारत की तरफ देखने को मजबूर हुआ है। अब दुनिया में भारत को सुना जाता है और उसे गंभीरता से लिया जाता है। एससीओ की बैठक में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोलना शुरु किया तो पाकिस्तान मुंह ताकता रह गया। दूसरे देशों ने भी पीएम मोदी की बात पर सहमति जताई। आइए जानते कि एससीओ की बैठक की मेजबानी कर रहे भारत ने क्या क्या कहा।
पाकिस्तान को मोदी ने सुनाई खरी खोटी
एससीओ की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर खुलकर बात की और इशारों ही इशारों में पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा,’आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है। इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई करनी होगी। कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति, यूक्रेन संघर्ष और एससीओ सदस्य देशों के बीच सहयोग, संपर्क और व्यापार बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले दो दशकों में, एससीओ एशियाई क्षेत्र की शांति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। हम इस क्षेत्र को न केवल एक विस्तारित पड़ोस के रूप में बल्कि एक विस्तारित परिवार के रूप में भी देखते हैं।’
भारत ने की मेजबानी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहित अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। यह सम्मेलन उस वक्त आयोजित किया जा रहा है जब भारत के इसके दो पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन के साथ रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं। वहीं, रूस अपनी निजी सेना वैगनर के अल्पकालिक विद्रोह से उभरने की कोशिश कर रहा है।
भारत के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है बैठक
यह भारत के लिए मध्य एशिया के साथ अधिक गहराई से जुड़ने का एक मंच रहा। रैंड कॉर्पोरेशन के इंडो-पैसिफिक विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन ने कहा,’भारत इस प्रकार की विदेश नीति में गौरवान्वित होता है जहां वह एक ही समय में सभी के साथ समान व्यवहार करता है।’भारत ने शिखर सम्मेलन में अपने हितों को सुरक्षित करने की कोशिश की। इसने सीमा पार आतंकवाद से लड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया जो पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश था। इसने क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया जिसका इशारा चीन की ओर रहा। भारत और चीन के बीच तीन साल से गतिरोध चल रहा है, जिसमें पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में सीमा पर हजारों सैनिक तैनात हैं।