कितनी सुरक्षित आपकी इलेक्ट्रिक बाइक ?
तेलंगाना के सिकंदराबाद में इलेक्ट्रिक बाइक शोरूम में आग लगने से 6 लोगों की मौत हो गई। दरअसल तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से सटे सिकंदराबाद में इलेक्ट्रिक बाइक शोरूम में उस समय आग लगी जब यहां इलेक्ट्रिक बाइक चार्ज की जा रही थी। हैदराबाद के नॉर्थ जोन के अपर डीसीपी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा शॉर्ट सर्किट से लगी आग की वजह से अफातफरी मच गई। दरअसल इलेक्ट्रिक बाइक के जिस शोरूम में आग लगी उसके ऊपर लॉज हैं। जिसमें कई लोग फंस गए थे। हादसे में 6 लोगों की मौत हो चुकी है। कुछ लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। चार्ज करते समय इलेक्ट्रिक बाइक की आग ने पूरे शोरुम को तो जलाकर राख कर दिया साथ 6 जींदगी भी आग की चपेट में आ गईं। एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या आप इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदकर अपने जीवन के साथ को जोखिम में तो नहीं डाल रहे हैं और क्या यह सुरक्षित हैं। क्योंकि ये पहला मामला नहीं है जब इलेक्ट्रिक बाइक या स्कूटर में चार्जिंग के समय आग लगी हो। इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं।
क्या सुरक्षित नहीं हैं इलेक्ट्रिक स्कूटर?
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के बारे में बातें हो रही हैं कि इसका कैसे भविष्य हैं। चिंता का मुख्य कारण कार टर की बैटरी है। दरअसल आग की ऐसी घटनाओं के बीच राइडर्स को खतरा बना रहता है। बैटरी को गर्म वातावरण में काम करना पड़ता है। पहले भी आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं और इससे इन स्कूटरों की बैटरी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। पिछले दिनों एक ओला स्कूटर में लगी थी। आग शॉर्ट सर्किट या लिथियम आयन बैटरी के अधिक गर्म होने के चलते हो सकती है। इस तरह के मामले गलत चार्जर और ओवरचार्जिंग से संबंधित हो सकते हैं लेकिन चूंकि स्कूटर को चार्ज नहीं किया गया था। तो आग ओवरहीटिंग और कूलिंग उपायों की कमी के कारण लगी हो सकती है। सभी मामलों में जांच जारी है लेकिन राइडर्स की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। बैटरी को अच्छी तरह से इन्सुलेट किया जाना चाहिए और यह भी कि इसे कितनी अच्छी तरह ठंडा किया जाना चाहिए। इलेक्ट्रिक कारों या स्कूटरों या उपकरणों की बैटरी ठीक से नहीं बनाई गई हो या अपर्याप्त कूलिंग हो तो इनमें आग लग सकती है। चिंता की बात यह है कि लिथियम आयन बैटरी से लगी आग को बुझाना लगभग नामुमकिन है। पहले धुएँ के निकलने के साथ सेल जलती हैं और आग की लपटों में बदल जाती हैं।
भविष्य में ऐसी किसी भी घटना से बचने के लिए एक सख्त नियमन तंत्र को लागू करने की जरुरत हे। साथ ही निर्माताओं की ओर से किसी भी उत्पाद को विभिन्न स्थितियों के बीच अच्छी तरह से टेस्ट किया जाना चाहिए। इतने सारे नए इलेक्ट्रिक टू व्हीलर निर्माता आ रहे हैं। ऐसे में कड़े नियम या ईवी सुरक्षा के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।
तमिलनाडु में भी हुई थी ऐसी घटना
इससे पहले अप्रैल महीने में तमिलनाडु में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी। यहां पोरुर कुंदरातुर स्थित शोरूम में एक कस्टमर ने अपनी ई बाइक की बैटरी को चार्ज पर लगाया। जिसमें कुछ ही देर बाद आग लग गई थी। धीरे धीरे पूरा शोरूम आग की लपटों में घिर गया। हादसे में कई नए इलेक्ट्रिक स्कूटर और सर्विसिंग के लिए आए दर्जनों पुराने इलेक्ट्रिक स्कूटर जल कर राख हो गए।
राख में मिल गया था पूरा शोरूम
आग लगने के बाद शोरूम से धुआं उठने लगाए जिसे देखकर लोग घबरा गए। इस घटना के बाद इलाके में लोग जमा हो गए। जिससे ट्रैफिक जाम की नौबत पैदा हो गई। बाद में पुलिस की मदद से भीड़ को हटाया गया। हालांकि राहत की बात ये थी कि आग लगने की इस घटना में किसी इंसान को नुकसान नहीं हुआ। स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पाया गया लेकिन उससे पहले ही पूरा शोरूम जलकर राख हो चुका था।
जानिए क्या है असल वजह
देश के अलग अलग हिस्सों में इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाली ये आग लगातार बढ़ती ही जा रही है। साथ ही इन स्कूटरों की सवारी और सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस बात को लेकर चिंता जताई साथ ही संदेह भी जताया कि आखिर ये इलेक्ट्रिक स्कूटर लोगों के लिए कितने सुरक्षित हैं। हालांकि वाहन निर्माता कंपनियों ने इन घटनाओं में जांच की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ रही हैं। दरअसल इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है। जो सेलफोन और स्मार्टवॉच में भी उपयोग किए जाते हैं। जिन्हें आमतौर पर उनके समकक्षों यानी दूसरी बैटरियों की तुलना में ज्यादा बेहतर और हल्का माना जाता है। कैसे काम करती है बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप तक लिथियम आयन ली आयन बैटरी ही सबसे लोकप्रिय है। जिनका इस्तेमाल दुनिया भर में लाखों उपकरणों में किया जा रहा है। लिथियम बैटरी में एक एनोड, कैथोड, सेपरेटर, इलेक्ट्रोलाइट और दो करंट कलेक्टर होते हैं। एनोड और कैथोड वह जगह है जहां लिथियम जमा होता है, जबकि इलेक्ट्रोलाइट पॉजिटिव चार्ज लिथियम आयनों को एनोड से कैथोड तक ले जाता है। लिथियम आयनों का मूवमेंट एनोड में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का निर्माण करती है, जिससे पॉजिटिव करेंट चार्ज बनता है। लिथियम आयन बैटरी का सबसे बड़ा फायदा इनका उच्च ऊर्जा घनत्व होता है। इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता कंपनी के अधिकारियों की माने तो लिथियम बैटरी की उच्च ऊर्जा घनत्व का मतलब है कि इसके सेल कुछ स्थितियों में अस्थिर हो सकते हैं। जिससे कार्यक्षमता बाधित हो सकती है।
बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम क्या है?
यह जानना भी जरूरी है कि बैटरी प्रबंधन प्रणाली क्या होती है। मूल रूप से एक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है जो लिथियम आयन बैटरी पैक में सभी सेल्स से जुड़ी होती है। जो लगातार अपने वोल्टेज और इसके माध्यम से बहने वाले प्रवाह को मापती है। एक बीएमएस में असंख्य टेंप्रेचर सेंसर होते हैं। जो इसे बैटरी पैक के विभिन्न वर्गों में तापमान की जानकारी प्रदान करता है। यह सारा डेटा बैटरी पैक के अन्य मापदंडों की गणना करने में मदद करता है।
आखिर स्कूटरों में क्यों आग लगती है?
पिछले कुछ दिनों में इलेक्ट्रिक वाहनों में आगजनी की कई घटना सामने आ चुकी है लेकिन अभी तक इस बात से पर्दा नहीं उठ सका है कि आखिर इन वाहनों में आग लगने की वजह क्या है। कंपनियों ने घटनाओं की जांच की बात जरूर कही लेकिन अभी पता नहीं चल सका। सामने से भी आया है कि बढ़ता तापमान लथियम आयन बैटरी पैक में एक मुश्किल भूमिका निभाता है। आयन बैटरी आमतौर पर गर्म तापमान में बेहतर प्रदर्शन करती है। लेकिन जब मामला उच्च तापमान का होता है जब बैटरी पैक का एम्बीएंट तापमान 90 से100 डिग्री तक बढ़ने पर इसमें आग लगने की आशंका भी बढ़ जाता है। यहां एक और ध्यान देने वाली बात ये भी है किए इलेक्ट्रिक वाहनों में कई तरह के छोटी छोटी बैटरियां उपयोग की जाती हैं। जिसमें अलग अलग उपकरणों का संचालन करते हैं। अब जहां भारी संख्या में बैटरियां इस्तेमाल हो रही हों ऐसे में यदि किसी एक बैटरी में शार्ट सर्किट होता है तो इससे दूसरे कंपोनेंट्स का प्रभावित होना या उनमें आग लगने की स्थिति पैदा होना आम बात है। लेकिन शॉर्ट सर्किट होने प एक चेन रिएक्शन की तरह काम करता है। यानी थर्मल रनवे बन जाता है। जानकार बताते हैं कि शायद यही वजह है कि आपके इलेर्क्ट्क वाहन में लगी लिथियम बैटरियां जल्दी आग पकड़ लेती हैं।