तमिलनाडू के ऊर्जा मंत्री वी सेंथिल बालाजी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की रडार पर है। उनके खिलाफ तमाम सबूत जुटाने के बाद अंतत:उन्हे धनशोधन निवारण अधिनियम (एमपीएलए) के तहत गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले उनके लंबी पूछतांछ की गई जब उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिए तब उन पर गिरफ्तारी की कार्यवाही की गई। इसके बाद स्थानीय कोर्ट में उन्हे पेश किया गया, जहां से उन्हें 28 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस पूरे मामले के पीछे क्या कोई पॉलिटिकल कारण है? आईए जानते हैं,कि आखिर ये मामला क्या है?
फूट फूटकर रोए कद्दावर नेता सेंथिल
धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तार कद्दावर नेता और तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी इस कार्रवाही से इतने ज्यादा तनाव में आ गए कि फूट फूटकर रोने लगे। उनकी तबियत खराब हो गई और डॉक्टरों ने उन्हे बायपास कराने की सलाह भी दे दी। बता दें कि बालाजी उन नेताओं में शामिल है जिन्होंने आय से अधिक मामले में जे जयललिता के बरी होने पर अपना सिर मुंडवाकर जश्न मनाया था। उनके में बारे में यहां तक कहा जाता है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र की जनता का उनके साथ सीधा जुड़ाव रहा है। जिसकी वजह से उनकी क्षेत्र में काफी लोकप्रियता है। हालांकि ये भी सही है कि सेंथिल बालाजी स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार में केंद्रीय एजेंसी की इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले पहले मंत्री हैं।
नौकरी घोटाले ने बढ़ाई मुसीबत
कभी अन्नाद्रमुक सरकार में शामिल रहे सेंथिल बालाजी पर पैसे लेकर नौकरी देने के आरोप हैं। यही मामला आगे चलकर सेंथिल के लिए मुसीबत बन गया। मामला 2011 से 2015 के बीच का है। उस समय तत्कालीन अन्नाद्रमुख सरकार में परिवहन मंत्री रहे सेंथिल पर इस तरह के आरोप लगे थे। हालांकि, जे जयललिता के निधन के बाद उन्होंने अन्नाद्रमुक को अलविदा कहा और साल 2018 में द्रमुक का दामन थाम लिया था। लेकिन पैसों के बदले नौकरी के आरोपों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। मेट्रो ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में एक तकनीकी कर्मचारी ने वर्ष 2018 में शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायत के बाद मद्रास हाई कोर्ट में यह मामला उठा था। इस मामले ने उस समय तूल पकड़ लिया जब शिकातें मिलीं कि पैसे लेने के बाद भी कई युवाओं को नौकरी नहीं दी गई।
अचानक बढ़ी थी लोकप्रियता
एक समय था जब अन्नाद्रमुक सरकार की प्रमुख योजना ‘अम्मा जल’ चलाई जा रही थी। इस योजना की कामयाबी का पूरा श्रेय सेंथिल बालाजी को दिया गया था।उन्होंने साल 2013 में गरीबों को सस्ते दरों पर पानी मुहैया कराने का काम किया था। जिसके कारण वे अचानक चर्चा में आए और रातों रात उनकी लोकप्रियता बढ़ गई। ये बात अलग है कि जयललिता के निधन के बाद उनका पार्टी से मोहभंग होने लगा और उन्होंने वीके शशिकला-टीटीवी दिनाकरण गुट का समर्थन किया था, लेकिन अंतत: 2018 में उन्होंने अन्नाद्रमुक को अलविदा कहने का मन बनाया।
कुछ इस तरह तय किया सियासी सफल
तमिलनाडु की एमके स्टॉलिन सरकार में ऊर्जा मंत्री सेंथिल बालाजी का जन्म 21 अक्टूबर, 1975 में करूर जिले में हुआ था। उन्होंने 1997 में राजनीति में एंट्री की और फिर पहली बार निकाय चुनाव लड़ा। साल 2000 में सेंथिल बालाजी को पहली बार करूर क्षेत्र से विधानसभा जाने का मौका मिला और अगले चुनाव भी जीत दर्ज की। हालांकि, 2016 में सेंथिल बालाजी ने अरवाकुरिची निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन 2021 में उन्होंने वापस करूर सीट से अपनी किस्मत आजमाई, जहां पर उन्हें सफलता मिली।