छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस धान के हंसिये से वोटों की फसल काटने की तैयारी कर रही है। राज्य की भूपेश सरकार 2500 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने को अपनी उपलब्धि के तौर पर गिना रही है। कांग्रेस के रणनीतिकारों की माने तो यह सीधा गणित है। राज्य में करीब 40 लाख परिवार सीधे तौर पर खेती-किसानी से जुड़े हैं। 25 लाख से अधिक किसानों ने तो 2022 में धान बेचने के लिए पंजीयन कराया था। अगर प्रति परिवार दो लोगों को ही वयस्क मतदाता के रूप में चिन्हित किया जाए तो भी धान से लाभान्वित हो रहे मतदाताओं की संख्या राज्य में करीब 50 लाख से अधिक है। पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बीजेपी की अपेक्षा 60 लाख से अधिक लोगों ने वोट दिया था। यह कुल मतदान का 43 प्रतिशत बैठता है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अगर अपने किसान वोटों को साधे रखने में सफल हो गई तो उसे फिर लगातार दूसरी सत्ता में वापसी को लेकर मुश्किल नहीं होगी।
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यहीं वहीं है कि छत्तीसगढ़ में इन दिनों धान पर सियासत गरमा गई है। राज्य की भूपेश सरकार जहां किसानों से 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बता रही है तो वहीं विपक्षी दल बीजेपी का कहना है कि धान खरीदी तो केन्द्र सरकार करती है। क्योंकि पिछले साढ़े चार साल में धान खरीदी के लिए केन्द्र की मोदी सरकार ने राज्य की मौजूदा सरकार को 65 हजार करोड़ रुपए दिए हैं। दरअसल सामने विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों में ज्यादा किसान हितैषी होने की होड़ चल रही है।
2500 रुपये क्विंटल धान खरीदी कांग्रेस की उपलब्धि
राज्य की भूपेश सरकार जहां किसानों से 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताकर जनता के बीच जा रही है तो वहीं बीजेपी ने यह कहकर हलचल पैदा कर दी है कि राज्य में धान खरीदी तो केन्द्र सरकार करती हैं। केन्द्र सरकार ने पिछले साढ़े चार साल में धान खरीदी के लिए 65 हजार करोड़ की राशि राज्य सरकार को दी है। बीजेपी के इस बयान का काउंटर करने के लिए आखिर में राज्य के सीएम भूपेश बघेल और कैबिनेट मंत्री मो.अकबर को मैदान में उतरना पड़ा। प्रेस कांफ्रेंस के जरिए मंत्री ने बीजेपी के दावे का खंडन करते हुए कहा कि राज्य सरकार अपने पैसे से किसानों से धान खरीद रही है। वहीं सीएम भूपेश बघेल ने भी यह कहकर बीजेपी के दावे की हवा निकालने का प्रयास किया कि धान खरीदी की एजेंसी और पूरा सिस्टम राज्य सरकार का है। राज्य सरकार ही प्रदेश में धान की खरीदी करती है। केन्द्र सरकार केवल हरियाणा और पंजाब में धान की खरीदी करती है। उसे एफसीआई के जरिए छत्तीसगढ़ में भी धान खरीदी करना चाहिए। सीएम ने बीजेपी पर प्रदेश की जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।
चावल के लिए केन्द्र से मिले 65 हजार करोड़,धान के लिए नहीं
यह सच है कि छत्तीसगढ़ सरकार केन्द्र की एजेंसी के रूप में धान की खरीदी करती है। धान से चावल बनाकर एफसीआई को सौंपती है। जिसके बाद केन्द्र सरकार राज्य सरकार को राशि उपलब्ध कराती है। इसी रूप में केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार को पिछले करीब साढ़े चार साल में करीब 65 हजार करोड़ की राशि उपलब्ध कराई है। लेकिन धान खरीदी की सच्चाई इससे आगे भी है। राज्य की मौजूदा भूपेश सरकार किसानों के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से समर्थन मूल्य और 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल के दर की अंतर की राशि 9 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से किसानों को दे रही है जो शायद देश में पहला उदाहरण है। यानी भाजपा और कांग्रेस दोनों का कथन अर्ध सत्य है।