सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजूदर, मजदूरों के काफी नजदीक पहुंची रेस्क्यू टीम,सवालों के घेरे में सुरंग बना रही कंपनी

Uttarakhand Uttarkashi Tunnel

उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों से संपर्क होने के बाद उनके परिजनों और रेस्क्यू टीम ने राहत की सांस ली है। सभी श्रमिक सुरक्षित हैं। उन्हें भोजन-पानी पहुंचाने का इंतजाम किया गया है। जल्दी ही उन्हें बाहर निकाले जाने की उम्मीद है। जरूरी मशीनें मंगा कर रेस्क्यू किया जा रहा है। कई अड्चने भी आ रहीं हैं। लेकिन सुरंग में अब खुदाई अब अंतिम चरणाों में चल रही है।

बता दें जब दीपावली पर देश भर में खुशियांं मनाई जा रही थी तब भी इस सुरंग में मजदूरों से काम कराया जा रहा था। इस दौरान सुरंग धंस गई और उसमें मलबा भर गया। शुरुआत में दावा किया गया था कि एक-दो दिन में ही मजदूर बाहर आ जाएंगे सभी को निकाल लिया जाएगा, मगर 13 दिन होने के बाद भी मजूदर सुरंग में ही फंसे रहने को मजबूर हैं। जैसे- तैसे मजदूरों तक दवा और कुछ खाने का सामान वगैरह पहुंचाया जा रहा है। अब वहां तक एक पाइप डाल कर कैमरे के माध्यम से उनसे संपर्क हो पाया है और बचाव दल को वहां की सही स्थिति समझने में भी मदद मिल पा रही है। हालांकि इतने दिनों तक चली मशक्कत के बीच कई ऐसे सवाल भी उठे रहे हैं, जिनका जवाब शायद किसी के पास नहीं है। दरअसल सुरंग बना रही हाईवे और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी एनएचआईडीसीएल बगैर इस पर विचार किये कि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में कभी भी भूधसाव हो जाता है वह सामान्य सुरंग बनाने के तरीके ही इस्तेमाल करती रही। जहां भी सुरंग की खुदाई होती है, वहां जमीन की प्रकृति का अध्ययन पहले किया जाता है।

पहाड़ी राज्य में बना रहता है जमीन धंसने का खतरा

उत्तराखंड के पहाड़ों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। अब सुरंग धंसने के बाद तकनीकी पहलुओं पर भी चर्चा हो रही है। जिनमें कंपनी की तरफ से जरूरी अध्ययन और सुरक्षा इंतजाम न किए जा सकने की लापरवाहियों पर अंगुलियां उठी हैं। बाहरी दबाव को रोकने के लिए सीमेंट की जैसी मोटी परत बिछाई जानी चाहिए थी और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए पहले ही जो पाइप डाली जानी चाहिए, उसके न होने को लेकर भी कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं। उम्मीद की जाती है कि इस परियोजना से जुड़े लोग इस घटना से सबक लेंगे और आगे किसी भी तरह की ऐसी घटना को रोकने का प्रयास करेंगे।

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