सवा 3 साल की उम्र में इस बच्ची ने आखिर क्यों लिया संथारा?.. दस मिनट में देह ने छोड़ दिये प्राण…जानें क्या है संथारा, जैन धर्म में क्यों मानते हैं इस प्रथा को सबसे पवित्र

3 year and 4 month old girl gave up her life just 10 minutes after taking Santhara

सवा 3 साल की उम्र में इस बच्ची ने आखिर क्यों लिया संथारा?.. दस मिनट में देह ने छोड़ दिये प्राण…जानें क्या है संथारा, जैन धर्म में क्यों मानते हैं इस प्रथा को सबसे पवित्र

संथारा लेने के महज दस मिनट बाद ही 3 साल चार माह की एक बेटी ने अपने देह को त्याग दिया। मामला इंदौर का है। जैन धर्म के सर्वोच्च व्रत में से एक संथारा को माना जाता है। जिस तरह से सवा 3 साल की इस बच्ची ने संथारा कर अपनी देह त्यागी है, उसके चलते बच्ची का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है।

बता दें इंदौर में जैन परिवार की एक तीन साल चार माह की छोटी सी बच्ची ने संथारा व्रत का पालन कर अपना जीवन त्याग दिया। बताया जाता है कि यह बच्ची ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थी। परिजनों ने उसका ऑपरेशन भी करवाया था, लेकिन ऑपरेशन के कुछ दिन के बाद फिर से उसे वही पीड़ा और समस्या होने लगी। इस बीच परिजन उसे जैन मुनि के पास ले गए। जिनके कहने पर बेटी का संथारा करवाया गया। इस व्रत को करने के बाद महज 10 मिनट बाद ही बच्ची ने अपना जीवन त्याग दिया।

जैन धर्म में सबसे पुरानी प्रथा है संथारा

बता दें संथारा प्रथा या संलेखना को जैन धर्म में सबसे प्राचीन प्रथा माना जाता है। जैन समाज में इस तरह से देह का त्याग करने को बहुत ही पवित्र कार्य माना जाता है। दरअसल जब व्यक्ति को लगता है कि उसकी अंतिम समय निकट है तो वह स्वयं को एक कमरे में बंद कर भोजन ओर पानी का त्याग देता है। जैन धर्म शास्त्रों में इस तरह देह त्याग करने को समाधिमरण, पंडितमरण या संथारा कहा जाता है। संथारा का अर्थ है जीवन के अंतिम समय में तप और विशेष प्रकार की आराधना करना है। संथारा को जीवन की अंतिम साधना भी कहा जाता है। जिसके आधार पर साधक अपने अंतिम समय को पास देख सबकुछ त्यागकर मृत्यु का वरण करता है। जैन समाज में इसे विधि को महोत्सव भी कहा जाता है।

इंदौर के जैन परिवार की सवा 3 साल की छोटी बेटी वियाना ने भी संथारा किया। बच्ची की मां ने बताया कि वियाना को ब्रेन ट्यूमर होने की जानकारी जनवरी में लगी थी। जिसके चलते 9 जनवरी 2025 को मुंबई में उसका ऑपरेशन कराया गया। 10 जनवरी को डॉक्टर्स ने उसके ट्यूमर का ऑपरेशन किया। इस दौरान वियाना ठीक भी हो रही थी। लेकिन, अचानक से पिछले माह फिर से उसे उसी तरह की पीड़ा और समस्या होने लगी।

दिल कठोर कर दी बेटी को संथारा की मंजूरी

वियाना को उसके माता-पिता पिछले दिनों राजेश मुनि महाराज के पास लेकर गए थे। इसके बाद बेटी वियाना ने वहां परंपरागत तरीके से वंदना भी की। इसी बीच परिवार को लगा कि अब बच्ची का एक रात भी गुजारना मुश्किल है। ऐसे में इसे संथारा करा देना चाहिए। इसके बाद उसके पिता पियूष दोनों भाई, वियाना के मामा मामी और नानी भी वहां पर मौजूद थे। सभी ने अंतत: अपना दिल कठोर कर बेटी को पीड़ा से मुक्ति के लिए संथारा करने की स्वीकृति दे दी।

महज 10 मिनट में शरीर त्याग दिया

वियाना ने जैसे ही संथारा की पूरी प्रक्रिया संपन्न की। संथारा लेने के महज दस मिनट बाद ही वियाना ने अपना शरीर त्याग दिया। संथारा को जैन धर्म में सर्वोच्च व्रत माना जाता है। लेकिन जिस तरह से महज सवा 3 साल की वियाना ने संथारा कर अपना शरीर त्यागा है। उसके चलते अब उसका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है।..प्रकाश कुमार पांडेय

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