जानें क्यों बंद हो गए छत्तीसगढ़ में 150 मिनी-स्टील प्लांट…आखिर क्यों गरमा रही है इसे लेकर सियासत…?

150 mini steel plants in Chhattisgarh Chief Minister Vishnudev Former Chief Minister Bhupesh Baghel

छत्तीसगढ़ के स्टील प्लांट में उत्पादन बंद होने को लेकर सियासत गरमा गई है। जी हां राज्य में स्टील प्लांट में उत्पादन तो बंद हो गया लेकिन सियासत शुरु हो गई। इसे लेकर मिनी प्लांट एसोसिएशन ने सरकार पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है। जहां एक ओर पक्ष इसे उद्योगपतियों की गलतफहमी बता रहा है तो वहीं विपक्ष इसे सरकार की लापरवाही बता रहा है।

छत्तीसगढ़ के स्टील प्लांट में अब उत्पादन बंद हो गया है। मिनी प्लांट एसोसिएशन ने रायपुर में दोबारा बैठक की। इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि वर्तमान विद्युत दरों के वृद्धि से स्टील उद्योग का चलना संभव नहीं है। लिहाजा अनिश्चितकाल के लिए स्टील प्लांट बंद कर दिए गए। एसोसिएसन ने बताया कि साल 2018 में बिजली दरों में लगातार वृद्धि की गई है। जिससे मिनी स्टील प्लांट उद्योगों के बंद होने की कगार पर पहुंच गये हैं।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि उद्योगपतियों को गलतफहमी हुई है। बिजली के दाम 25 प्रतिशत नहीं बल्कि 25 पैसे प्रति यूनिट बढ़ाई गई है।

इस तरह से अचानक करीब 150 से ज्यादा उद्योग बंद होने से सीधा-सीधा प्रभाव ढाई लाख मजदूरों पर पढ़ने जा रहा है। इससे बड़ी संख्या में मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे… और आने वाले समय में ट्रांसपोर्ट में भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा… उद्योगपतियों की ओर से बंद किए गए उद्योग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि… यह पूरी तरह सरकार की लापरवाही है।

छत्तीसगढ़ का स्टील उद्योग
मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के मुताबिक
छग में 850 से ज्यादा स्टील प्लांट
ओडिशा के बाद दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक
राज्य में बनने वाले स्टील का 15% राज्य में खपत
85% बेचा जाता है राज्य के बाहर
छग स्टील उद्योग सरकार को देता है रॉयल्टी
10 हजार करोड़ रुपए की देते है GST
लगभग 5 हजार करोड़ रुपए की देते है रॉयल्टी
उद्योग से प्रदेश में जुड़े 5 लाख लोग
अन्य दूसरे कामों में जुड़े 7 लाख लोग

स्टील प्लांट में तालाबंदी

छत्तीसगढ़ में बिजली की बढ़ी हुई दरों की वजह से स्टील उद्योग नहीं चल रहे हैं। ऐसे में संस्था के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम विष्णुदेव साय से मुलाकात की। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, वित्त मंत्री ओपी चौधरी के साथ छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी के सचिव और अध्यक्ष पी दयानंद से भी मुलाकात की।

एसोसिएशन ने बताया कि प्रदेश में 2003 से 2018 के बीच मिनी स्टील प्लांट उद्योगों की विद्युत दर लगभग 4.50 रुपये के आसपास रहती थी। जिससे दूसरे राज्यों के उद्योगपतियों का छत्तीसगढ़ में रुझान बढ़ा। जिससे प्रदेश में लगातार नये लौह उद्योग स्थापित किये गए। लेकिन साल 2018 की बात करें तो उस समय बिजली दरों में लगातार वृद्धि की गई। मौजूदा समय में भी बिजली दर करीब 7.60 रुपये प्रति यूनिट है, जिसकी वजह से नये लौह उद्योग लगना बंद हो गये हैं।बिजली दर कम की जाना चाहिए।

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