मोदी को अब डरने की जरूरत है!

मोदी को अब डरने की जरूरत है!

भारतीय राजनीति के इतिहास में विरले ही ऐसे उदाहरण मिलते हैं. जब किसी राजनेता को जनता ने अपने हीरो की तरह स्वीकार कर सर माथे पर बैठाया हो और इतने प्रचंड बहुमत से लगातार दो बार प्रधानमंत्री पद पर आसीन किया हो. मोदी है तो मुमकिन है के नारे को जब जनता ने आत्मसात किया. तो विपक्षी पार्टियों को केंद्र की सत्ता में आने का सपना सपना ही बन कर रह गया. वहीं दूसरी तरफ किसी भी पार्टी के पास बीजेपी और मोदी के सामने खड़ा करने के लिए इतना ताकतवर चेहरा नहीं था जो मोदी को हराकर केंद्र में सत्तासीन हो जाए.

अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फिर एक बार मोदी को हराने का मन बनाया है. जिसके लिए सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद में जुटी हुईं हैं. जाहिर वे अपने आप को 2024 में लोकसभा चुनावों में भावी प्रधानमंत्री के तौर पर देख रही हैं. और हाल कि परिस्थितियों को देखते हुए लग रहा है कि अब देश में बीजेपी बनाम एंटी बीजेपी का महासंग्राम होने जा रहा है.

विपक्ष में सबसे मजबूत चेहरा ममता

हालही में संपन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता के सामने पूरी केंद्र सरकार को हराने की चुनौती थी. मोदी से लेकर… अमित शाह… राजनाथ सिंह… जेपी नड्डा के सामने न सिर्फ उन्होंने जीत हासिल की. बल्कि चुनाव के बाद पष्चिम बंगाल में हुई चुनावी हिंसा में केंद्र द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा करने में विफल होने के बाद ममता बनर्जी ने देश के सबसे दमदार विपक्षी चेहरे के रूप अपने हस्ताक्षर दर्ज किये. अब ममता ने 2024 के लोकसभा चुनावों में सभी विपक्षी पार्टियों के एकजुट होकर मोदी सरकार को धूल चटाने के लिए ताल ठोकी हैं.

हालांकि ममता 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी विपक्ष को एक करके तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश कर चुकी है. पर उस समय उनके प्रयास कारगर साबित नहीं हुए थे. वहीं ममता ने यह कवायद लोकसभा चुनावों से ठीक पहले शुरू की थी. लेकिन अब बनर्जी चुनावों के बहुत पहले ही यह काम शुरू कर चुकी हैं.

राजनीति और रणनीति दिलायेगी नेतृत्व

ममता बनर्जी के पास चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का साथ है. किशोर पार्टियों को चुनावों में जिताने के लिए मशहूर हैं. किशोर ने हालही में जहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी. तो ममता भी विपक्ष की सभी छोटी बड़ी पार्टियों को साधने में जुटी हैं. हालांकि तृणमूल कांग्रेस सुप्रिमो ममता बनर्जी को सभी विपक्षी दलों को राजनैतिक मतभेद भुलाकर एक मंच पर लाना ममता के बेहद मुश्किल होगा. हालांकि प्रशांत कोशोर के साथ के साथ इस कवायद में ममता को थोड़ी आसानी जरूर होगी. क्योंकि सभी विपक्षी दल जानते है 2019 के चुनाव में भाजपा से करारी शिकश्त की मुख्य वजह थी विपक्षी दलों में साझा रणनीति का अभाव.

ममता के लिए दिल्ली दूर है

ममता को मोदी के रथ को रोकने के लिए सोनिया की हर हाल में जरूरत पड़ेगी. क्योकि एनसीपी और कांग्रेस के अलावा सभी पार्टियां क्षेत्रीय दल हैं. हालांकि कहीं ने ये सभी पार्टियां ममता के साथ है. लेकिन कांग्रेस की सोनिया गांधी और एनसीपी के शरद पवार क्या ममता के गठबंधन में अपनी पार्टियों को शामिल करेंगे यह बड़ प्रष्न है. इसीलिए लगता ममता के लिए दिल्ली दूर है.

राजनीतिक विश्लेषक सुमन भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार की लोकप्रियता अब तक के सबसे निचले स्तर पर है और विपक्षी खेमे को इस समय का अधिकतम लाभ उठाने की आवश्यकता है. तो लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी लगता है कि अगर उनकी पार्टी ने उन्हें समर्थन नहीं दिया तो किसी भी गठबंधन की, भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीयता नहीं होगी. उन्होंने कहा, ’अगर कोई सोचता है कि वह कांग्रेस को विश्वास में लिए बिना भाजपा को हरा सकता है, तो वह व्यक्ति दिन में सपने देख रह रहा है.

अगर गठबंधन में कांग्रेस शामिल हो भी जाती है तो देखा जाए तो सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री नहीं बनना है. वे अपनी जगह प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी का नाम आगे करेंगी. पर राहुल बनर्जी से उम्र. अनुभव में कमतर हैं. वहीं दूसरा अगर तीसरा मोर्चा अस्तित्व में आ जाता है तो बहुत चांस है ममता ही पीएम का चेहरा होंगी. क्योंकि मोदी के सामने ममता से बड़ा चेहरा देश की राजनीति में कोई नहीं हैं. पर कांग्रेस को साधे बिना यह मुमकिन नहीं है.

दूसरी तरफ जानकार भी ये मान रहे हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव में जब प्रधानमंत्री पद के दावेदारों की चर्चा होगी तो उसमें ममता बनर्जी का नाम जरूर होगा.

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